DRDO और निजी कंपनियों की साझेदारी से हुआ विकास
इस अत्याधुनिक रडार प्रणाली को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने देश की निजी कंपनियों के साथ मिलकर विकसित किया है। अभी तक तेजस के पहले 40 Mk1A जेट्स में इजरायली ELTA सिस्टम्स का ELM-2052 फायर कंट्रोल रडार लगाया गया है। लेकिन 41वें जेट से इसमें स्वदेशी उत्तम AESA रडार को इंटीग्रेट किया जाएगा। इसका मकसद भारत को रडार तकनीक में आत्मनिर्भर बनाना और तेजस की क्षमताओं को वैश्विक मानकों तक पहुंचाना है।
150 किमी दूर से पहचान लेगा खतरा
उत्तम AESA रडार से लैस तेजस Mk1A लगभग 150 किलोमीटर दूर से हवाई खतरे को पहचान और ट्रैक कर सकेगा। इससे भारतीय वायुसेना को समय रहते जवाबी कार्रवाई करने की सुविधा मिलेगी। ये क्षमता 4.5-पीढ़ी के तेजस को असली अर्थों में एक एडवांस्ड फाइटर जेट बना देती है।
Mk2 और AMCA में भी होगा इस्तेमाल
तेजस Mk1A में सफल इंटीग्रेशन के बाद उत्तम AESA रडार को तेजस Mk2 और भारत के आगामी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) में भी शामिल किया जा सकता है। इससे भविष्य के भारतीय लड़ाकू विमान स्वदेशी तकनीक पर आधारित होंगे, जो रणनीतिक रूप से देश की ताकत को कई गुना बढ़ा देंगे।
क्या है उत्तम AESA रडार की खासियतें?
मल्टी मोड ऑपरेशन: यह रडार हवा से हवा, हवा से ज़मीन और हवा से समुद्र में ऑपरेशन कर सकता है।
हाई टारगेट ट्रैकिंग क्षमता: एक साथ कई टारगेट्स को पहचानने और ट्रैक करने की क्षमता रखता है।
इलेक्ट्रॉनिक बीम स्टीयरिंग: रडार बीम को बहुत तेजी और सटीकता से दिशा देने में सक्षम है।
लो ऑब्ज़र्वेबिलिटी: दुश्मन के रडार और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम द्वारा इस रडार को ट्रैक करना मुश्किल होता है, जिससे तेजस की पहचान छिपी रहती है।
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