यूपी में पंचायत चुनाव से पहले होगा रैपिड सर्वे

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनाव की तैयारियाँ तेज़ हो चुकी हैं। इस बार चुनाव प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। ओबीसी आरक्षण के निर्धारण के लिए सरकार ने पहली बार डेडिकेटेड पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। आयोग की निगरानी में राज्य भर में रैपिड सर्वे कराया जाएगा, जो ओबीसी आबादी की हिस्सेदारी के आधार पर पंचायत सीटों का आरक्षण तय करेगा।

जिले से वॉर्ड स्तर तक होगा सर्वे

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह सर्वे वॉर्ड, ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत तक के स्तर पर कराया जाएगा। आयोग की टीमें जिलों में जाकर सुझाव, आपत्तियों और संवाद के जरिए स्थानीय परिस्थितियों का मूल्यांकन करेंगी। पूरी प्रक्रिया में 3 से 4 महीने का समय लग सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट का पालन अनिवार्य

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को लेकर ‘ट्रिपल टेस्ट’ फॉर्मूले का पालन अनिवार्य कर रखा है। इसमें तीन बिंदु शामिल हैं: ओबीसी की जनसंख्या और सामाजिक पिछड़ेपन का डेटा जुटाना। राज्य सरकार द्वारा एक समर्पित आयोग का गठन। आरक्षण की सीमा कुल 50% से अधिक न होना। 2022 के नगर निकाय चुनाव में इस फॉर्मूले का अनुपालन न होने के कारण चुनाव प्रक्रिया बाधित हुई थी। उस समय कोर्ट की टिप्पणी के बाद सरकार को आयोग का गठन करना पड़ा था।

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों में आरक्षण व्यवस्था

27% सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित,

21% अनुसूचित जातियों के लिए,

2% अनुसूचित जनजातियों के लिए,

और इनमें से 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित।

आरक्षण का निर्धारण आमतौर पर पिछली जनगणना और रोटेशन प्रणाली के आधार पर किया जाता है। हालांकि, ओबीसी वर्ग की जातिगत गणना जनगणना में न होने के कारण सरकार को रैपिड सर्वे की प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।

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