पंचायत चुनाव में आरक्षण व्यवस्था तय होगी?
बिहार में पंचायती राज व्यवस्था के तहत, ग्राम पंचायतों के मुखिया और सरपंच जैसे पदों पर आरक्षण दिया जाता है। यह आरक्षण अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़े वर्गों (OBC) को प्रदान किया जाता है। इसके अलावा, महिलाओं को 50% आरक्षण सुनिश्चित किया गया है।
बिहार पंचायती राज अधिनियम, 2006 के अनुसार:
मुखिया पदों पर आरक्षण प्रत्येक पंचायत समिति के अधीन मुखिया के कुल पदों के अधिकतम 50% तक सीमित होता है। यह आरक्षण अनुपातिक आधार पर तय होता है, यानी अनुसूचित जाति या जनजाति की जनसंख्या का प्रतिशत जिस पंचायत क्षेत्र में जितना है, उस अनुपात में आरक्षित पद तय किए जाते हैं।
कब और कैसे होता है आरक्षण में बदलाव?
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, आरक्षण व्यवस्था में बदलाव हर दो चुनावों के बाद किया जाता है। यानी कि अगर किसी पंचायत में 2016 और 2021 में एक ही वर्ग के लिए आरक्षण रहा है, तो 2026 के चुनावों में आरक्षण बदला जाएगा। यह बदलाव पंचायत निर्वाचन नियमावली के तहत किया जाता है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सभी वर्गों को समान अवसर मिल सके और कोई भी जाति या वर्ग आरक्षण के लाभ से लगातार वंचित न रह जाए।
हाल ही की स्थिति: सिवान जिले का उदाहरण
सिवान जिले के पटेढ़ा पंचायत से आरक्षण में बदलाव की मांग को लेकर एक पत्र भेजा गया था। इसके जवाब में राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि 2026 के पंचायत चुनावों में आरक्षण बदला जाएगा क्योंकि यह नियम के अनुसार तीसरा चक्र होगा, जहां बदलाव जरूरी है।
क्यों जरूरी है यह जानकारी?
अगर आप आगामी चुनाव में मुखिया बनने की योजना बना रहे हैं, तो आपको अपनी पंचायत में: वर्तमान और पिछले दो चुनावों में आरक्षण की स्थिति जाननी होगी। अपने वर्ग की जनसंख्या की स्थिति का भी मूल्यांकन करना होगा। यह जानना जरूरी है कि आपकी पंचायत का पद 2026 में आरक्षित रहेगा या सामान्य।
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