ICBM मिसाइलों की रेस में कौन नंबर वन? भारत भी शामिल

नई दिल्ली। दुनिया की सैन्य ताकत अब सिर्फ पारंपरिक हथियारों से नहीं, बल्कि अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) की क्षमताओं से मापी जा रही है। महज आठ देश ऐसे हैं जिनके पास यह घातक हथियार मौजूद है। इनमें भारत का भी नाम शामिल है, जिसने हालिया वर्षों में तेज़ी से इस तकनीक में महारत हासिल की है। लेकिन सवाल यह है कि इस रेस में कौन सबसे आगे है?

ICBM: कुछ ही देशों के पास ये सामरिक शक्ति

वर्तमान में जिन देशों के पास ICBM मौजूद हैं, वे हैं: संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, भारत, यूनाइटेड किंगडम, इजरायल और उत्तर कोरिया। इन सभी देशों की ICBM क्षमताएं न केवल उनके सैन्य दबदबे को दर्शाती हैं, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति में उनकी स्थिति को भी मजबूत बनाती हैं।

आईसीबीएम ऐसी मिसाइलें होती हैं जो 5,500 किलोमीटर या उससे अधिक दूरी तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम होती हैं। ये मिसाइलें महज कुछ ही मिनटों में किसी भी महाद्वीप तक पहुँच सकती हैं, जिससे इनका सामरिक महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

भारत की स्थिति: अग्नि-5 से बढ़ी ताकत

भारत ने अपने अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षणों के जरिए खुद को ICBM क्लब में मजबूती से स्थापित किया है। 5,000 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली यह मिसाइल भारत की रणनीतिक क्षमता को नई ऊंचाई देती है। इसके अलावा DRDO द्वारा विकसित हो रही तकनीकों से भारत की परमाणु त्रिकोण (nuclear triad) भी मजबूत हो रही है।

कौन सबसे आगे?

1. रूस

रूस इस क्षेत्र में तकनीक और तैनाती दोनों में सबसे आगे माना जाता है। इसकी RS-28 Sarmat (Satan-2) जैसी मिसाइलें 18,000 किमी से अधिक दूरी तय कर सकती हैं और कई परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं।

2. अमेरिका

अमेरिका के पास Minuteman-III और विकासाधीन Sentinel ICBM जैसी आधुनिक प्रणालियां हैं। यह देश तकनीकी सटीकता और प्रतिक्रिया क्षमता में शीर्ष पर है। इसकी रेंज 13000 किलोमीटर से ज्यादा हैं।

3. चीन

चीन ने हाल के वर्षों में अपनी परमाणु नीति में बड़ा विस्तार किया है। DF-41 जैसी मिसाइलें इसे ICBM रेस में शीर्ष तीन में रखती हैं। इसकी रेंज 13000 से 15000 किमी बताई जाती हैं।

पाकिस्तान की गैर-मौजूदगी

पाकिस्तान, जो परमाणु संपन्न राष्ट्र है, फिलहाल ICBM क्षमता से वंचित है। उसकी लंबी दूरी की मिसाइलें अधिकतम 2,750 किमी तक ही सीमित हैं, जो ICBM के मानक से बहुत नीचे हैं। इससे उसे रणनीतिक रूप से वैश्विक स्तर पर पीछे माना जाता है।

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