अदृश्य योद्धा
B-2 बॉम्बर को ‘फ्लाइंग विंग’ भी कहा जाता है क्योंकि इसका डिजाइन पारंपरिक विमानों से बिलकुल अलग है। इसके पंख चौड़े और बिना पूंछ के होते हैं, जिससे यह हवा में बेहद कम रडार सिग्नेचर छोड़ता है। यही वजह है कि यह रडार को चकमा देने में सक्षम है और दुश्मन को इसके आने की भनक तक नहीं लगती।
परमाणु हमलों में सक्षम
यह विमान परमाणु हथियारों और सटीक गाइडेड मिसाइलों को ले जाने की क्षमता रखता है। B-2 एक बार में लगभग 18,000 किलोग्राम तक के बम अपने भीतर रख सकता है और बिना रुके 11,000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है, यानी अमेरिका से उड़कर दुनिया के किसी भी कोने में जाकर हमला कर सकता है।
आधुनिक युद्ध की क्रांति
B-2 बॉम्बर का पहला मिशन 1999 में कोसोवो युद्ध के दौरान हुआ था, जहां इसने बिना किसी रुकावट के लंबी दूरी तक जाकर दुश्मन के ठिकानों को सफलतापूर्वक नष्ट किया। इसके बाद यह इराक, अफगानिस्तान और लीबिया जैसे अभियानों में भी सक्रिय रहा।
कम संख्या, ज्यादा ताकत
दुनिया में सिर्फ 20 B-2 बॉम्बर हैं और एक विमान की कीमत करीब 2 बिलियन डॉलर (लगभग 16,000 करोड़ रुपये) है। इसकी संचालन लागत भी बेहद अधिक है, लेकिन अमेरिका इसे बनाए रखने में पीछे नहीं हटता क्योंकि यह रणनीतिक रूप से अमूल्य है। अमेरिका पहले ही इसके अपग्रेड वर्जन, B-21 Raider, पर काम कर रहा है जो और भी अधिक घातक और अदृश्य होगा।
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