शहरी सीमा विस्तार बना सीटों में कमी
इस बार ग्राम पंचायतों की सीटों में कमी आई है, जिसका एक बड़ा कारण शहरी सीमा का विस्तार माना जा रहा है। कई गांव अब नगर निकायों में शामिल हो चुके हैं, जिससे संबंधित ग्राम पंचायतें स्वतः समाप्त हो गई हैं। इससे ग्राम पंचायतों की कुल संख्या घटी है।
एकल पदों पर डायरेक्ट चुनाव की चर्चा
अब तक ग्राम प्रधानों का चुनाव जनता सीधे करती रही है, जबकि ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव संबंधित समिति सदस्यों द्वारा किया जाता रहा है। लेकिन अब इन एकल पदों (जैसे ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष) पर भी सीधे जनता से चुनाव कराने की मांग तेज हो गई है।
इस मांग को ओम प्रकाश राजभर की पार्टी और आम आदमी पार्टी जैसे कई राजनीतिक दलों ने उठाया है। इनका कहना है कि इससे चुनाव प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी और धनबल के प्रभाव को कम किया जा सकेगा। पंचायतीराज विभाग इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है और संभव है कि सरकार इस दिशा में कोई ठोस विधायी प्रस्ताव तैयार करे।
सीधे चुनाव से खर्च पर लग सकती है लगाम
पंचायत चुनावों में ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया के दौरान काफी धन खर्च होता है। इस प्रक्रिया पर अक्सर भ्रष्टाचार और खरीद-फरोख्त के आरोप भी लगते रहे हैं। यदि इन पदों पर भी सीधा चुनाव कराया जाता है, तो इससे चुनावी खर्च पर नियंत्रण संभव हो सकेगा और लोकतंत्र की जड़ों को और मज़बूती मिलेगी।
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