मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) की आगामी बैठक में इस मिसाइल सिस्टम को लेकर एक अहम प्रस्ताव पेश किया जाएगा, जिसकी अनुमानित लागत करीब 30,000 करोड़ रुपये होगी। प्रस्ताव के अनुसार, QRSAM की तीन रेजिमेंट्स खरीदी जाएंगी, जिन्हें भारत की पश्चिमी (पाकिस्तान) और उत्तरी (चीन) सीमाओं पर तैनात किया जाएगा।
क्या है QRSAM सिस्टम और क्यों है ये खास?
QRSAM एक स्वदेशी और अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने BEL (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड) और BDL (भारत डायनेमिक्स लिमिटेड) के साथ मिलकर विकसित किया है। इसका उद्देश्य युद्ध क्षेत्र में तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए दुश्मन के विमानों, ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करना है।
प्रमुख विशेषताएं:
1 .रेंज: 3 किमी से लेकर 30 किमी तक की मारक क्षमता।
2 .स्वचालित संचालन: मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग और एक साथ कई लक्ष्यों को मार गिराने की क्षमता।
3 .ऊंचाई: यह 98 फीट से लेकर 33,000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों को निशाना बना सकती है।
4 .अत्यधिक गति: यह मिसाइल 6000 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकती है, जो इसे अल्ट्रा-फास्ट इंटरसेप्टर बनाती है।
5 .इंटीग्रेशन: यह प्रणाली भारत के मौजूदा MRSAM (मीडियम रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल) और आकाश मिसाइल प्रणालियों के साथ सहज रूप से काम कर सकती है, जिससे वायु सुरक्षा में परत-दर-परत मजबूती आती है।
रणनीतिक असर: चीन और पाकिस्तान पर बढ़ेगा दबाव
QRSAM की तैनाती भारत की वायु रक्षा की रणनीति में बड़ा बदलाव लाएगी। पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से आने वाले हवाई खतरों—चाहे वो लड़ाकू विमान हों या ड्रोन—के खिलाफ अब तेज़, सटीक और घातक प्रतिक्रिया देना संभव होगा। सीमावर्ती क्षेत्रों में यह मिसाइल दुश्मन की किसी भी चाल को नाकाम करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
0 comments:
Post a Comment