बिहार में अतिक्रमित भूमि को कराया जाएगा खाली

पटना। बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में एक अहम पहल की शुरुआत हुई है। राज्य के शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया है कि सरकारी स्कूलों के पास मौजूद भूमि का सटीक रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा और अतिक्रमित जमीन को खाली कराया जाएगा। यह कदम न केवल स्कूल परिसरों को सुरक्षित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बुनियादी ढांचा भी प्राप्त होगा।

मापी और रिकॉर्डिंग का काम होगा तेज

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर अब प्रत्येक स्कूल की जमीन की मापी कराई जाएगी। अभी तक इन स्कूलों की जमीन का कोई समेकित रिकॉर्ड शिक्षा विभाग के पास नहीं है, जिससे अतिक्रमण को बढ़ावा मिला है। कई स्कूलों की जमीन पर स्थानीय लोगों ने कब्जा कर रखा है। यह समस्या सिर्फ दूर-दराज के इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि राजधानी पटना के कई स्कूल भी इस परेशानी का सामना कर रहे हैं।

भू-राजस्व अधिकारी और संभाग की नियुक्ति

इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए जिले में विशेष भू-राजस्व अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी, जो स्कूलों की जमीन का लेखा-जोखा तैयार करेंगे। इसके लिए एक अलग संभाग भी बनाया जाएगा, जहां प्रखंड स्तर से लेकर जिला स्तर तक का डेटा संरक्षित रहेगा।

दान में दी गई जमीन का सत्यापन जरूरी

बिहार में बहुत सारे स्कूल ऐसे हैं जो दानदाता की जमीन पर वर्षों से संचालित हो रहे हैं। अब जब दानदाता की अगली पीढ़ी जमीन पर दावा करती है, तो विवाद उत्पन्न होता है। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब मापी के माध्यम से स्पष्ट रूप से पता चले कि कितनी जमीन स्कूल की है और कितनी दान में दी गई थी। इसके लिए संबंधित विभाग से स्कूल की भूमि का नक्शा निकाला जाएगा।

कब्जा हटेगा, स्कूल को लौटेगी जमीन

जहां भी अतिक्रमण पाया जाएगा, वहां पुलिस प्रशासन की मदद से अवैध कब्जा हटाया जाएगा। इसके बाद उस भूमि की चारदीवारी बनाकर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। खाली कराई गई भूमि का उपयोग स्कूल के विकास कार्यों जैसे कि अतिरिक्त कक्ष निर्माण, खेल के मैदान और अन्य गतिविधियों के लिए किया जाएगा।

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