ब्रह्मोस की सबसे खास बात यह है कि यह सुपरसोनिक गति से लक्ष्य पर हमला करती है, जिससे दुश्मन के पास प्रतिक्रिया करने का समय ही नहीं बचता। इसका उपयोग जमीन, समुद्र और वायु – तीनों माध्यमों से किया जा सकता है, जो इसे एक बहुआयामी रणनीतिक हथियार बनाता है।
फिलीपींस: पहला अंतरराष्ट्रीय ग्राहक, अब फिर से भरोसे के साथ तैयार
जनवरी 2022 में जब फिलीपींस ने भारत से 375 मिलियन डॉलर की लागत में तीन ब्रह्मोस बैटरियां खरीदी थीं, तब यह भारत की रक्षा निर्यात नीति के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। इन मिसाइलों की सफल तैनाती और प्रभावी प्रदर्शन के बाद फिलीपींस ने अब इस प्रणाली पर अपना भरोसा और भी मजबूत कर लिया है।
अब खबर यह है कि फिलीपींस भारत से 9 और ब्रह्मोस बैटरियां खरीदने की योजना बना रहा है। यह निर्णय न केवल दोनों देशों के रक्षा सहयोग को एक नई ऊंचाई देगा, बल्कि भारत की मिसाइल टेक्नोलॉजी को वैश्विक मान्यता भी दिलाएगा।
रणनीतिक महत्व: चीन को कड़ा संदेश
फिलीपींस की यह संभावित खरीद सिर्फ एक सैन्य सौदा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश है—खासतौर पर दक्षिण चीन सागर में बढ़ते तनाव को देखते हुए। फिलीपींस सरकार इन नई बैटरियों को देश के प्रमुख रणनीतिक क्षेत्रों जैसे पालावान, लुजोन और मिंडानाओ में तैनात करने की योजना बना रही है।
इन इलाकों में ब्रह्मोस की तैनाती सीधे-सीधे चीन के किसी भी नौसैनिक कदम को चुनौती देने में सक्षम होगी। इससे न केवल फिलीपींस को अपनी सीमाओं की रक्षा में मजबूती मिलेगी, बल्कि पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की रणनीतिक उपस्थिति भी सशक्त होगी।
भारत की 'डिफेंस डिप्लोमेसी' को बल
ब्रह्मोस का यह सौदा भारत की "मेक इन इंडिया" पहल और रक्षा निर्यात रणनीति के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। भारत केवल मिसाइलें नहीं बेच रहा, बल्कि साथ में प्रशिक्षण, लॉजिस्टिक्स सपोर्ट और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की पेशकश भी कर रहा है। यह कदम भारत को केवल एक हथियार आपूर्तिकर्ता ही नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद रक्षा साझेदार के रूप में स्थापित करता है। साथ ही, यह भारतीय रक्षा क्षेत्र को वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धी बनाता है।
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