8वें वेतन आयोग में 7वें पे मैट्रिक्स? जानें फॉर्मूले का गणित

नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। लाखों कर्मचारियों की निगाहें सरकार की घोषणा पर टिकी हैं, और उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा कर सकता है। इस बीच एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या इस बार वेतन निर्धारण का फॉर्मूला बदलेगा, या फिर 7वें वेतन आयोग का पे-मैट्रिक्स ही दोबारा लागू होगा?

7वें वेतन आयोग का पे मैट्रिक्स बनेगा आधार

मीडिया के अनुसार, सरकार इस बार नया वेतन निर्धारण मॉडल लागू करने के बजाय 7वें वेतन आयोग के मौजूदा पे-मैट्रिक्स स्ट्रक्चर को ही आधार बनाने पर विचार कर रही है। इस पे मैट्रिक्स में कुल 18 लेवल हैं, और यह डॉ. वेलेस एक्रोइड फॉर्मूले पर आधारित है, जिसका मुख्य उद्देश्य है न्यूनतम वेतन इतना सुनिश्चित करना कि कर्मचारियों की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी हो सकें।

फॉर्मूला क्या है? जानें फिटमेंट फैक्टर का गणित

7वें वेतन आयोग में वेतन निर्धारण के लिए एक फिटमेंट फैक्टर का इस्तेमाल किया गया था, जो मूल रूप से 2.57 था। यह फैक्टर ही तय करता है कि पुराने वेतनमान से नए वेतन में कितनी वृद्धि होगी। अब 8वें वेतन आयोग को लेकर जो चर्चाएं चल रही हैं, उनके अनुसार इस बार फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाकर 1.92 करने का प्रस्ताव है। हालांकि यह पिछले फिटमेंट फैक्टर से कम है, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यह न्यूनतम बेसिक पे में बड़ी छलांग दे सकता है।

कितनी बढ़ेगी सैलरी? उदाहरण से समझें

मौजूदा न्यूनतम बेसिक पे: ₹18,000 अगर फिटमेंट फैक्टर 1.92 लागू होता है, तो: नई बेसिक पे = ₹18,000 × 1.92 = ₹34,560, यानी केवल बेसिक पे में ही ₹16,560 की वृद्धि, जोकि कुल सैलरी पर और भी बड़ा असर डालेगा क्योंकि HRA, DA, TA जैसी सभी भत्ते इसी के आधार पर तय होते हैं।

कब तक आ सकता है ऐलान?

संभावना है कि 2026 में 8वां वेतन आयोग लागू किया जाएगा, क्योंकि पिछला वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था और आमतौर पर यह 10 वर्षों के अंतराल पर होता है।

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