भारत को अमेरिका से मिला GE-F404 इंजन, तेजस Mk1A को मिलेगी नई उड़ान

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग लगातार मजबूत हो रहा है। इसका ताजा उदाहरण है अमेरिकी कंपनी GE Aerospace द्वारा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को चौथा GE-F404-IN20 इंजन सौंपा जाना। यह इंजन HAL को बुधवार को सौंपा गया, जो दोनों देशों के बीच 2021 में हुए 716 मिलियन डॉलर के समझौते के तहत हो रही डिलीवरी का हिस्सा है। इन हाई परफॉर्मेंस जेट इंजनों का इस्तेमाल भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस Mk1A में किया जाएगा।

तेजस Mk1A की ताकत में होगा इजाफा

LCA तेजस Mk1A भारतीय वायुसेना के भविष्य के बेड़े की रीढ़ बनने जा रहा है। तेजस का यह उन्नत संस्करण बेहतर एवियोनिक्स, हथियार प्रणालियों और रडार से लैस होगा। अब तक HAL को चार GE-F404 इंजन मिल चुके हैं, जिनमें तीसरा इंजन 11 सितंबर को प्राप्त हुआ था। HAL को आशा है कि मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक कुल 12 इंजन प्राप्त हो जाएंगे, जिससे तेजस Mk1A का उत्पादन तेज़ी से आगे बढ़ सकेगा।

वायुसेना की बड़ी योजना

भारतीय वायुसेना ने अब तक 83 तेजस Mk1A जेट का ऑर्डर दे रखा है, जबकि 97 और विमानों की खरीद प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। दीर्घकालिक योजना के तहत वायुसेना कुल 352 तेजस विमान (Mk1A और आने वाले Mk2 वेरिएंट) को सेवा में शामिल करना चाहती है। यह योजना न केवल स्वदेशी सैन्य क्षमता को बढ़ावा देगी, बल्कि देश की रक्षा तैयारियों को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगी।

सप्लाई चेन की चुनौतियाँ और समाधान

हालांकि, इंजन की आपूर्ति में कुछ रुकावटें भी सामने आई हैं। खासकर एक दक्षिण कोरियाई कंपोनेंट सप्लायर के फेल होने से डिलीवरी शेड्यूल प्रभावित हुआ है। पहले जहां डिलीवरी मार्च 2024 तक पूरी होनी थी, वहीं अब यह शेड्यूल मार्च 2025 तक खिसक गया है। HAL ने भरोसा जताया है कि अगले वित्तीय वर्ष से इंजन की आपूर्ति में स्थिरता आ जाएगी।

उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी

HAL का लक्ष्य है कि 2026-27 तक वह प्रति वर्ष 30 तेजस Mk1A विमानों का उत्पादन करने में सक्षम हो जाए। इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ निजी कंपनियों की भागीदारी भी अहम भूमिका निभाएगी। इससे न केवल उत्पादन दर में वृद्धि होगी, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मजबूती मिलेगी।

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