नियमित समीक्षा का आदेश
सरकार ने सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि पेंशन और सेवांत लाभ से जुड़े मामलों की नियमित समीक्षा अनिवार्य रूप से की जाए। मुख्यालय के साथ-साथ क्षेत्रीय कार्यालयों को भी हर लंबित मामले की जांच कर समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। लक्ष्य यह है कि कर्मचारी को रिटायर होते ही उसका लाभ समय पर और बिना झंझट मिले।
तीन महीने से ज्यादा देरी पर कार्रवाई
नई व्यवस्था के अंतर्गत यदि किसी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा पेंशन या सेवांत लाभ का मामला तीन महीने से अधिक लंबित रखा जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई तय है। सरकार का मानना है कि अनावश्यक देरी न केवल रिटायर कर्मचारियों को परेशान करती है, बल्कि प्रशासन की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।
जीरो पेंडेंसी नीति पर जोर
राज्य सरकार ने दोहराया है कि विभागों में कार्यों की पेंडेंसी खत्म करना प्राथमिकता है। सेवांत लाभ और पेंशन के मामलों को सबसे पहले निपटाने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों को चेताया गया है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, क्योंकि अधिक देरी होने पर कर्मचारी न्याय की तलाश में कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं, जिससे सरकार पर अनावश्यक दबाव बढ़ता है।
कर्मचारियों के लिए राहत
सरकार के इस कदम से हजारों कर्मचारियों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो समय पर पेंशन न मिलने के कारण मानसिक और आर्थिक दोनों तरह के संकट से गुजरते हैं। नई सख्ती और स्पष्ट निर्देशों से विभागों की जवाबदेही भी बढ़ेगी और प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनेगी।

0 comments:
Post a Comment