यूपी में "ग्राम प्रधानों" को ट्रेनिंग: खुलेंगे पंचायत रिसोर्स सेंटर!

लखनऊ। पंचायत चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण प्रशासन को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। राज्य के 413 ब्लॉकों में पंचायत रिसोर्स सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जिनकी मदद से ग्राम पंचायतों में चल रही योजनाओं की निगरानी, डेटा संकलन और पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। फिलहाल प्रदेश के केवल 25 जिलों में ऐसे सेंटर मौजूद हैं, जिनका अब राज्यभर में विस्तार किया जा रहा है।

ग्राम स्तर की योजनाओं की निगरानी होगी सुदृढ़

अभी तक ब्लॉक स्तर पर ऐसा कोई कार्यालय मौजूद नहीं था, जहां से ग्राम पंचायतों में चल रहे विकास कार्यों की नियमित निगरानी की जा सके। परिणामस्वरूप कई बार योजनाओं की प्रगति का सटीक मूल्यांकन संभव नहीं हो पाता था। नए पंचायत रिसोर्स सेंटर इस कमी को दूर करेंगे।

इन केंद्रों पर कंप्यूटर दक्ष कर्मी नियुक्त किए जाएंगे, जो विकास योजनाओं से जुड़े आंकड़ों को डिजिटल रूप से संकलित कर ब्लॉक व जिला स्तर पर भेजेंगे। इससे योजनाओं का समय पर मूल्यांकन और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। सरकार ने प्रत्येक केंद्र के लिए 15,000 रुपये का बजट निर्धारित किया है।

ग्राम प्रधानों और प्रतिनिधियों को ब्लॉक पर मिलेगी ट्रेनिंग

अब तक प्रशिक्षण सुविधाएँ मुख्य रूप से राज्य स्तर या कुछ चुनिंदा जिलों तक सीमित थीं। जिन जिलों में रिसोर्स सेंटर नहीं थे, वहाँ पंचायत प्रतिनिधियों और अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। यह परेशानी खासकर महिला प्रतिनिधियों के लिए चुनौती बन जाती थी। 

नए सेंटर खुलने के बाद ग्राम प्रधान, महिला प्रतिनिधि, पंचायत सदस्य और स्थानीय अधिकारी ब्लॉक स्तर पर ही प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। इससे: प्रशिक्षण की गुणवत्ता बढ़ेगी, समय और संसाधनों की बचत होगी, योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में तेजी आएगी। 

केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार स्थापना

इन रिसोर्स सेंटरों की स्थापना केंद्र सरकार की बदली हुई गाइडलाइन के अनुसार की जाएगी। पंचायत स्तर पर प्रशासनिक कार्यों में आधुनिक तकनीक को शामिल करने और डिजिटल निगरानी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है।

योजना का मुख्य उद्देश्य है: पंचायत प्रतिनिधियों की क्षमता बढ़ाना, योजनाओं को समय पर और सही दिशा में लागू करना, ग्रामीण विकास में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना। पंचायत रिसोर्स सेंटरों के विस्तार से गांवों में विकास कार्यों की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद है। डेटा आधारित निगरानी से योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार होगा और पंचायतों को निर्णय लेने में भी अधिक सुविधा मिलेगी।

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