आपको बता दें की 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया था, जिसके बाद न्यूनतम वेतन ₹7,000 से बढ़कर ₹18,000 हो गया था। अब 8वें वेतन आयोग के लिए तीन संभावित फिटमेंट फैक्टर—1.92, 2.08 और 2.86—पर चर्चा हो रही है।
फिटमेंट फैक्टर से कैसे तय होती है सैलरी
फिटमेंट फैक्टर को मौजूदा बेसिक पे पर लागू कर नई बेसिक सैलरी तय की जाती है। फैक्टर जितना अधिक होगा, वेतन में बढ़ोतरी उतनी ही ज्यादा होगी। यही वजह है कि कर्मचारियों की नजरें सबसे अधिक इसी आंकड़े पर टिकी रहती हैं। अगर फिटमेंट फैक्टर 2.86 लागू होता है, तो न्यूनतम वेतन ₹18,000 से बढ़कर करीब ₹51,480 तक पहुंच सकता है। वहीं कम फिटमेंट फैक्टर की स्थिति में बढ़ोतरी सीमित रह सकती है।
विभिन्न पे लेवल पर संभावित सैलरी
अनुमानों के मुताबिक, अलग-अलग पे लेवल पर बेसिक सैलरी में इस तरह का बदलाव देखने को मिल सकता है:
लेवल-1 (ग्रुप D): ₹18,000 की जगह ₹34,560 से ₹51,480 तक
लेवल-3 (ग्रुप C): ₹21,700 की जगह ₹41,664 से ₹62,062 तक
लेवल-6 (ग्रुप B): ₹35,400 की जगह ₹67,968 से ₹1,01,244 तक
लेवल-10 (ग्रुप A): ₹56,100 की जगह ₹1,07,712 से ₹1,60,446 तक
ये आंकड़े इस बात पर निर्भर करेंगे कि सरकार किस फिटमेंट फैक्टर को अंतिम रूप देती है।
कर्मचारियों को क्या मिलेगा फायदा
यदि ऊंचा फिटमेंट फैक्टर लागू किया जाता है, तो इसका सीधा असर न केवल बेसिक सैलरी पर पड़ेगा, बल्कि महंगाई भत्ता (DA), HRA और पेंशन जैसी अन्य सुविधाओं में भी बढ़ोतरी होगी। इससे कर्मचारियों की कुल मासिक आय में अच्छा खासा इजाफा संभव है।
अभी अंतिम फैसला बाकी
फिलहाल 8वें वेतन आयोग को लेकर आधिकारिक घोषणा आना बाकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार महंगाई, आर्थिक स्थिति और राजकोषीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए ही फिटमेंट फैक्टर पर निर्णय लेगी।

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