हालांकि, भारत ने इस दबाव को अवसर में बदल दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश ने मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) पर तेज़ी से काम करना शुरू किया और कई देशों के साथ नए सहयोग को आगे बढ़ाया। इस रणनीति का परिणाम यह हुआ कि नवंबर 2025 में भारत का कुल निर्यात 19.4 प्रतिशत बढ़ा, जबकि अमेरिका में निर्यात 22 प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी दर्ज हुई।
मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की भूमिका
भारत ने यूरोपीय संघ, न्यूजीलैंड और चिली जैसे देशों के साथ व्यापार समझौतों की दिशा में बातचीत तेज़ कर दी है। इसी कड़ी में ओमान के साथ पहला मुक्त व्यापार समझौता इस सप्ताह अंतिम रूप लेने वाला है। इस समझौते से भारत के इंजीनियरिंग उत्पाद, वस्त्र, फार्मास्यूटिकल्स और कृषि उत्पादों के निर्यात को नई गति मिलेगी। दरअसल, FTA भारतीय कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत बनाते हैं और विदेशी बाज़ारों में पहुंच बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, ये छोटे और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए रोजगार सृजन में भी योगदान देते हैं।
अमेरिका के टैरिफ और रणनीतिक
अमेरिका द्वारा लगाए गए ऊंचे टैरिफ ने भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौती बढ़ा दी, लेकिन भारत ने इसे वैश्विक व्यापार में विविधता लाने का अवसर बनाया। वर्तमान में भारत के पास 26 देशों के साथ 15 FTA और छह प्राथमिकता व्यापार समझौते (PTA) हैं। इसके अलावा, 50 से अधिक देशों के साथ व्यापार वार्ता जारी है।
वैश्विक सहयोग और भविष्य
भारत ने हाल के वर्षों में यूएई, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ समझौते कर अपने व्यापारिक नेटवर्क को मजबूत किया है। इससे द्विपक्षीय व्यापार में सुधार हुआ और भारतीय उत्पादों की वैश्विक पहुंच बढ़ी। आगे आने वाले महीनों में और अधिक समझौतों के जरिए भारत वैश्विक व्यापार में स्थिरता और निर्यात बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
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