बिल के प्रमुख बदलाव और उद्देश्य
यह बिल तीन पुराने कानूनों में संशोधन करता है, इंश्योरेंस एक्ट 1938, लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन एक्ट 1956, और IRDAI एक्ट 1999। सबसे बड़ा बदलाव FDI यानी विदेशी निवेश की सीमा को 100% तक बढ़ाना है। पहले यह सीमा 26% थी, बाद में 74% कर दी गई थी। अब विदेशी कंपनियां बिना किसी भारतीय साझेदार के पूरी तरह भारतीय बीमा कंपनियां चला सकेंगी।
आम नागरिकों को मिलने वाले फायदे
1 .प्रीमियम में कमी और विकल्प बढ़ना:
विदेशी निवेश बढ़ने से भारतीय बाजार में नई कंपनियां आएंगी। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और पॉलिसी प्रीमियम अधिक किफायती होंगे। साथ ही साइबर इंश्योरेंस, पेट्स इंश्योरेंस और माइक्रो-इंश्योरेंस जैसी नई पॉलिसियां भी उपलब्ध होंगी।
2 .बेहतर सुरक्षा और सेवा:
पॉलिसीधारकों के लिए एक Education and Protection Fund बनाया जाएगा। इससे ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाया जाएगा और मर्जर या कंपनियों के विलय में मदद मिलेगी।
3 .क्लेम प्रक्रिया आसान और तेज़:
प्रतिस्पर्धा बढ़ने से कंपनियों की सर्विस क्वालिटी में सुधार होगा। ग्राहकों को क्लेम के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा और फ्रॉड के मामलों में कमी आएगी।
4 .IRDAI को सशक्त अधिकार:
नए कानून के तहत बीमा नियामक IRDAI को अधिक शक्तियां दी गई हैं। अब वह नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों से गलत तरीके से कमाए गए मुनाफे को वसूल सकता है।
5 .नौकरी और रोजगार के अवसर:
विदेशी कंपनियों की एंट्री से बीमा सेक्टर में नई नौकरियों के अवसर बनेंगे। इससे रोजगार और बाजार की ग्रोथ दोनों में मदद मिलेगी।
6 .बीमा की पहुंच बढ़ाना:
भारत में अभी बीमा पेनेट्रेशन यानी प्रीमियम का GDP में हिस्सा सिर्फ 3.7% है, जो वैश्विक स्तर से कम है। इस बदलाव से बीमा की पहुंच बढ़ेगी और सरकार का 2047 तक ‘इंश्योरेंस फॉर ऑल’ का लक्ष्य साकार होगा।
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