करोड़ों दस्तावेजों का हो रहा डिजिटाइजेशन
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग राज्यभर में मौजूद 5 करोड़ 59 लाख से अधिक पुराने निबंधित दस्तावेजों को चरणबद्ध तरीके से डिजिटल बना रहा है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद लोग अपने जमीन-जायदाद से जुड़े पुराने कागजात आसानी से ऑनलाइन देख और डाउनलोड कर सकेंगे।
दो बड़े चरणों में चल रहा यह काम
विभाग के अनुसार, पहले चरण में वर्ष 1990 से 1995 के बीच निबंधित लगभग 35 लाख से अधिक दस्तावेजों को ऑनलाइन करने का काम किया जा रहा है, जिसमें अब तक अच्छा खासा हिस्सा पूरा हो चुका है। वहीं दूसरे चरण में 1908 से 1989 तक के अत्यंत पुराने करीब 5 करोड़ से ज्यादा दस्तावेजों को डिजिटल रूप दिया जा रहा है। इनमें से लाखों दस्तावेजों की पीडीएफ पहले ही तैयार हो चुकी है, जिन्हें क्रमशः वेबसाइट पर डाला जाएगा।
तीन स्तरों पर पूरी हो रही प्रक्रिया
पूरी योजना को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहले दस्तावेजों की स्कैनिंग कर पीडीएफ बनाना, फिर उनसे जुड़ी जरूरी जानकारी को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दर्ज करना और अंत में इन्हें आम जनता के लिए सार्वजनिक करना। सरकार का लक्ष्य है कि 31 मार्च 2026 तक सभी पुराने निबंधित दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध करा दिए जाएं।
आम लोगों को होंगे कई फायदे
इस डिजिटल पहल से लोगों को पुराने कागजात के लिए निबंधन कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। घर बैठे दस्तावेज देखने और डाउनलोड करने की सुविधा से समय और पैसे दोनों की बचत होगी। साथ ही दस्तावेजों में छेड़छाड़, फर्जीवाड़े और भूमि विवाद जैसे मामलों पर भी काफी हद तक रोक लगने की उम्मीद है।
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