छह वर्षों में हजारों नई सीटें जुड़ीं
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में एमबीबीएस की 48,563 और एमडी/एमएस की 29,080 नई सीटें जोड़ी गई हैं। खास बात यह है कि शैक्षणिक वर्ष 2025-26 में ही सबसे अधिक वार्षिक वृद्धि देखने को मिली, जिसमें 11,119 एमबीबीएस और 7,619 पीजी सीटें बढ़ाई गईं। इस फैसले को देश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने की दिशा में एक मजबूत पहल माना जा रहा है।
स्वास्थ्य सेवाओं को सीधा लाभ
मेडिकल सीटों में इस इजाफे से न केवल छात्रों को फायदा होगा, बल्कि देश की स्वास्थ्य व्यवस्था भी मजबूत होगी। अब उन क्षेत्रों में भी मेडिकल कॉलेज और प्रशिक्षित डॉक्टर उपलब्ध होंगे, जहां अब तक स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित थीं। इससे ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में बेहतर इलाज की उम्मीद बढ़ी है।
गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि सीटों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा कड़े मानक और नियम लागू किए गए हैं। क्षमता आधारित चिकित्सा शिक्षा (CBME) प्रणाली और बेहतर क्लिनिकल प्रशिक्षण के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि नए डॉक्टर उच्च स्तर की दक्षता के साथ तैयार हों।
आगे भी जारी रहेगा विस्तार
सरकार की योजना यहीं समाप्त नहीं होती। 2025-26 से 2028-29 के बीच केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 10,023 और नई सीटें जोड़ने को मंजूरी दी जा चुकी है। इससे डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात में सुधार होगा और आम नागरिकों को बेहतर व सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी।

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