यूपी में जल संरक्षण रंग लाया, 29 जिलों में पानी का स्तर बढ़ा

लखनऊ: भूजल संरक्षण और जल प्रबंधन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश अब एक रोल मॉडल बनकर उभर रहा है। राज्य सरकार की नई जल नीति, तकनीकी नवाचार और जनभागीदारी के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है कि प्रदेश के 826 विकासखंडों में से 566 अब भूजल के लिहाज से सुरक्षित श्रेणी में आ चुके हैं।

2017 के मुकाबले बड़ी छलांग

वर्ष 2017 में राज्य के 82 विकासखंड ‘अतिदोहित’ यानी ओवरएक्सप्लॉइटेड श्रेणी में थे, लेकिन 2024 तक यह संख्या घटकर महज 50 रह गई है। वहीं, सेमी-क्रिटिकल और क्रिटिकल कैटेगरी वाले कई विकासखंड अब सुरक्षित की श्रेणी में पहुंच गए हैं। यह बदलाव राज्य की समर्पित जल संरक्षण नीति और सतत निगरानी की बदौलत संभव हो पाया है।

भविष्य के लिए ठोस रणनीति

राज्य सरकार के नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग द्वारा ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में भूजल के स्थायी प्रबंधन के लिए विस्तृत योजना तैयार की गई है। भूजल सूचना प्रणाली को आधुनिक बनाया जा रहा है ताकि जल के दोहन, उपयोग और संवर्द्धन पर सटीक जानकारी उपलब्ध हो सके। इसके अतिरिक्त, राज्य की जल नीति में वर्षा जल संचयन, रिचार्ज संरचनाओं और सामुदायिक भागीदारी को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है।

तकनीकी निगरानी से मिली सफलता

भूजल स्तर की पारदर्शी और वैज्ञानिक निगरानी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले एक साल में बड़ी पहल की है। प्रदेश भर में 500 नए पीजोमीटर और 690 डिजिटल वॉटर लेवल रिकॉर्डर (DWLR) लगाए गए हैं। इन उपकरणों की मदद से जल स्तर की वास्तविक समय पर निगरानी की जा रही है, जिससे नीतिगत निर्णयों में पारदर्शिता और सटीकता आई है।

ये हैं वे 29 जिले जहां भूजल स्तर में दिखा व्यापक सुधार

उत्तर प्रदेश के जिन जिलों में भूजल स्तर में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है, उनमें लखनऊ, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मुरादाबाद, आगरा, अलीगढ़, औरैया, बहराइच, बलरामपुर, बाराबंकी, बरेली, बिजनौर, एटा, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गोंडा, हापुड़, जालौन, झांसी, कानपुर देहात, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर, मुजफ्फरनगर, रायबरेली, रामपुर और श्रावस्ती शामिल हैं।

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