विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में सामान्यतः 45 से 55 वर्ष की उम्र के बीच महिलाओं में पीरियड्स बंद होना शुरू हो जाता है। हालांकि, यह उम्र व्यक्ति विशेष की जीवनशैली, स्वास्थ्य और आनुवांशिक कारकों पर भी निर्भर करती है। कुछ मामलों में यह 40 वर्ष से पहले भी हो सकता है, जिसे ‘अर्ली मेनोपॉज़’ कहा जाता है।”
मेनोपॉज़ के प्रमुख लक्षण:
विशेषज्ञों के अनुसार, मेनोपॉज़ की शुरुआत से पहले और बाद में कई शारीरिक और मानसिक बदलाव देखे जा सकते हैं। इनमें शामिल हैं: मासिक धर्म का अनियमित होना, बार-बार गर्मी महसूस होना (Hot Flashes), नींद में बाधा, थकावट और चिड़चिड़ापन, त्वचा और बालों में रूखापन, यौन इच्छा में कमी, जोड़ों और हड्डियों में कमजोरी आदि।
कैसे करें इस दौर का सामना?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मेनोपॉज़ को सहज और संतुलित रूप से जीने के लिए महिलाओं को समय रहते स्वास्थ्य के प्रति सजग होना चाहिए। “इस समय पौष्टिक आहार, योग, हल्का व्यायाम और मानसिक शांति बेहद जरूरी होती है। लक्षण अगर अधिक गंभीर हों तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।”
सामाजिक जागरूकता की जरूरत
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आज भी महिलाओं को इस विषय पर खुलकर बात करने में झिझक होती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक संगठनों को चाहिए कि वे मेनोपॉज़ से जुड़ी जागरूकता को घर-घर तक पहुंचाएं। ताकि महिलाओं को किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या का सामना करना न पड़े।
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