देर से शादी = कम तलाक, लेकिन गर्भधारण में बड़ी दिक्कत!

नई दिल्ली।आजकल समाज में शादी की औसत उम्र लगातार बढ़ रही है। करियर, पढ़ाई, आत्मनिर्भरता और सही जीवनसाथी की तलाश जैसे कारणों से लोग पहले की तुलना में देर से शादी करने लगे हैं। लेकिन क्या देर से शादी करना एक समझदारी भरा कदम है? विज्ञान इस पर दो पहलुओं से रोशनी डालता है—रिश्तों की स्थिरता और प्रजनन क्षमता।

देर से शादी और रिश्तों की स्थिरता

कई शोध बताते हैं कि 28 से 32 साल की उम्र में शादी करने वालों के रिश्ते अधिक स्थिर होते हैं। इतनी उम्र तक व्यक्ति भावनात्मक रूप से परिपक्व हो जाता है, उसे अपने करियर की दिशा स्पष्ट हो जाती है, और वह जिम्मेदारी निभाने में सक्षम होता है। यही वजह है कि देर से शादी करने वालों में तलाक की दर अपेक्षाकृत कम देखी गई है।

प्रजनन संबंधी चुनौतियाँ

हालाँकि रिश्ता मजबूत होने की संभावना बढ़ती है, लेकिन प्रजनन (fertility) के लिहाज से यह देर परेशानी का कारण बन सकती है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार महिलाओं की प्रजनन क्षमता 30 की उम्र के बाद धीरे-धीरे घटने लगती है, और 35 के बाद इसमें तेज गिरावट आ सकती है। पुरुषों में भी 35 के बाद शुक्राणुओं की गुणवत्ता और मात्रा दोनों प्रभावित हो सकते हैं। इससे गर्भधारण में कठिनाई, गर्भपात का जोखिम या बच्चों में अनुवांशिक बीमारियों की संभावना थोड़ी बढ़ सकती है।

संतुलन ज़रूरी है

देर से शादी करने का निर्णय यदि सोच-समझकर लिया जाए और समय पर परिवार नियोजन किया जाए, तो यह फायदे का सौदा हो सकता है। मेडिकल टेक्नोलॉजी ने आज IVF और अन्य उपचारों की मदद से प्रजनन संबंधी कई समस्याओं का समाधान भी ढूँढ लिया है।

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