भर्ती प्रक्रिया और फर्जीवाड़ा
बर्खास्त किए गए शिक्षक 12,460 सहायक अध्यापक भर्ती के तहत नियुक्त किए गए थे। इस भर्ती के दो चरणों में, 30 दिसंबर 2023 और 7 जनवरी 2024 को कुल 637 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिए गए थे। इन शिक्षकों में से कुछ—जैसे संतोष कुमार, संजय कुमार शंखवार और अखिलराज आनंद—नियुक्ति पत्र लेने के बाद बिना योगदान दिए गायब हो गए।
बाकी शिक्षकों—संजय कुमार, भारत रत्न सोनी, हर्ष सिंह, रमाकांत श्रीवास्तव और अरुण कुमार सागर—ने स्कूलों का आवंटन तो करा लिया, लेकिन वे कार्यभार ग्रहण करने विद्यालय पहुंचे ही नहीं। जब इनकी उपस्थिति को लेकर संदेह पैदा हुआ, तब शिक्षा विभाग ने दस्तावेज़ों की जांच शुरू करवाई।
सत्यापन में खुली पोल
बता दें की पटल प्रभारी नीरज त्रिपाठी की अगुवाई में दस्तावेजों का गहन सत्यापन किया गया। जांच के दौरान पुलिस सत्यापन में पाया गया कि इन अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए निवास प्रमाणपत्र फर्जी थे। साथ ही आशंका जताई गई है कि इन्होंने दूसरों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल कर नौकरी हासिल की थी।
नोटिस के बावजूद नहीं मिला जवाब
विभाग ने इन शिक्षकों को तीन बार नोटिस जारी कर जवाब मांगा, लेकिन कोई उत्तर नहीं दिया गया। निर्धारित समयावधि में जवाब न मिलने पर विभाग ने नियमानुसार सेवा समाप्त करने की कार्रवाई कर दी। बीएसए अतुल कुमार तिवारी ने इस कार्रवाई के माध्यम से स्पष्ट संदेश दिया कि शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि योग्य अभ्यर्थियों का हक छीनने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
इस मामले के सामने आने के बाद अब अन्य नियुक्तियों की भी जांच की जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि इस प्रकार के और भी फर्जी नियुक्तियों का खुलासा हो सकता है। यदि ऐसा होता है, तो और भी बर्खास्तगियां और कानूनी कार्रवाइयाँ देखने को मिल सकती हैं।
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