भारत बनेगा जेट इंजन बनाने वाला छठा देश, टेस्टिंग शुरू

नई दिल्ली। भारत अब रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी कड़ी में देश का स्वदेशी जेट इंजन प्रोजेक्ट – ‘कावेरी’ इंजन – अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित यह इंजन इस समय रूस में टेस्टिंग के महत्वपूर्ण चरण से गुजर रहा है, और यदि सब कुछ योजना के अनुसार रहा तो भारत जल्द ही दुनिया का छठा देश बन जाएगा जो खुद का फाइटर जेट इंजन बना सकता है।

क्या है कावेरी इंजन?

‘कावेरी’ इंजन DRDO के गैस टर्बाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (GTRE) द्वारा विकसित किया गया एक स्वदेशी टर्बोफैन जेट इंजन है। इसकी शुरुआत भारत के लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) प्रोजेक्ट के लिए हुई थी। हालांकि तकनीकी चुनौतियों और प्रोग्राम में देरी की वजह से शुरुआती दौर में इसे एलसीए तेजस में शामिल नहीं किया जा सका और अमेरिका के GE-404 इंजन को विकल्प के रूप में चुना गया।

रूस में चल रही टेस्टिंग

रक्षा अधिकारियों के अनुसार, कावेरी इंजन की टेस्टिंग रूस में जारी है और लगभग 25 घंटे की टेस्टिंग अभी बाकी है। इसके लिए रूसी अथॉरिटी से स्लॉट्स मिलने की प्रक्रिया चल रही है। अगर यह परीक्षण सफल रहता है, तो यह इंजन भारत में बनाए जा रहे लंबी दूरी के अनमैन्ड कॉम्बैट एरियल व्हीकल (UCAV) में भी इस्तेमाल किया जाएगा।

एलसीए में कावेरी को लगाने की योजना

जब अधिकारियों से पूछा गया कि क्या कावेरी इंजन को LCA में इस्तेमाल किया जा सकता है, तो उन्होंने कहा कि इस दिशा में योजना बनाई जा रही है। एक LCA विमान पर कावेरी इंजन लगाकर उसकी उड़ान क्षमता और परफॉर्मेंस का परीक्षण किया जाएगा। अगर यह परीक्षण सफल रहा, तो इससे भारत की निर्भरता विदेशी इंजनों पर काफी हद तक कम हो सकती है।

भविष्य के फाइटर जेट्स के लिए नया इंजन

इसके साथ ही DRDO एक विदेशी फर्म के साथ मिलकर अधिक पावरफुल और एडवांस इंजन भी विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। यह इंजन भारत के आगामी लड़ाकू विमान प्रोजेक्ट्स जैसे LCA Mark 2 और 5वीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के लिए होगा। इस संबंध में भारत फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनियों से बातचीत कर रहा है। जल्द ही साझेदारी को लेकर कोई अहम फैसला लिया जा सकता है।

0 comments:

Post a Comment