बता दें की K-15 मिसाइल को भारतीय नौसेना की परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत से सफलतापूर्वक दागा जा सकता है। इसकी अधिकतम मारक क्षमता लगभग 700 किलोमीटर है, जिससे यह दुश्मन के रणनीतिक ठिकानों को समुद्र की गहराइयों से भी ध्वस्त करने में सक्षम है।
दो-चरणीय मिसाइल तकनीक
सागरिका एक उन्नत दो-चरणीय मिसाइल है, जो ठोस ईंधन से संचालित होती है। इसका पहला चरण एक गैस बूस्टर है, जो मिसाइल को पनडुब्बी के लॉन्च ट्यूब से निकालकर पानी की सतह तक पहुंचाता है। इसके बाद दूसरा चरण सक्रिय होता है और मिसाइल अपने लक्ष्य की ओर तेज गति से बढ़ती है। इस तकनीक के कारण मिसाइल को जल के नीचे से भी दुश्मन पर अचूक प्रहार करने की क्षमता मिलती है।
परमाणु त्रिकोण को मजबूत करती K-15
भारत की परमाणु सुरक्षा नीति तीनों क्षेत्रों — थल, वायु और जल — से जवाबी हमला करने की क्षमता पर आधारित है, जिसे ‘न्यूक्लियर ट्रायड’ कहा जाता है। K-15 मिसाइल इस त्रिकोण का जल आधारित हिस्सा है, जिससे भारत को एक संतुलित और विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोधक ताकत मिलती है। यह मिसाइल न केवल दुश्मन के हमले का जवाब देने में सक्षम है, बल्कि उसे पहले हमला करने से रोकने का भी मजबूत माध्यम है।
यह मिसाइल स्वदेशी विकास की मिसाल
K-15 मिसाइल पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और इसे DRDO के वैज्ञानिकों ने भारतीय रक्षा जरूरतों को ध्यान में रखकर विकसित किया है। इसके सफल परीक्षणों ने भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल कर दिया है जिनके पास जल के भीतर से बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता है।
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