बता दें की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस महत्वपूर्ण नीति को स्वीकृति प्रदान की गई। सरकार का लक्ष्य प्रदेश में वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करना है, ताकि प्रदेश के युवाओं को बेहतर वेतन के साथ रोजगार के नए अवसर मिल सकें।
निवेश आकर्षित करने की रणनीति
उत्तर प्रदेश में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए जाने वाले निवेश को बढ़ावा देने के लिए इस नीति के तहत कई महत्वपूर्ण प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। औद्योगिक विकास विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश में युवाओं की प्रतिभा में कोई कमी नहीं है। कम लागत में बेहतर गुणवत्ता का काम लेने के लिए कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां राज्य में अपने केंद्र स्थापित कर रही हैं। इन कंपनियों में मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर और आईटी कंपनियां शामिल हैं, जो भारतीय बाजार में अपने आउटसोर्सिंग कार्यों को करने के लिए राज्य का रुख कर रही हैं।
नए अवसरों के निर्माण में तेजी
यूपी में वैश्विक क्षमता केंद्र नीति से राज्य में निवेश के नए रास्ते खुलेंगे। इसमें खासकर नोएडा, वाराणसी, कानपुर, और प्रयागराज जैसे शहरों को फायदा होगा, जहां इन सेंटर्स को स्थापित किया जाएगा। हाल ही में नोएडा में माइक्रोसॉफ्ट ने 10,000 सीटों वाला डेवलपमेंट सेंटर शुरू किया है, और एमएक्यू ने भी 3,000 सीटों वाला इंजीनियरिंग डेवलपमेंट सेंटर स्थापित किया है। राज्य सरकार की योजना है कि इन सेंटर्स का विस्तार अन्य शहरों में भी किया जाए।
आकर्षक सब्सिडी पैकेज
वैश्विक क्षमता केंद्र नीति के तहत, कंपनियों को संचालन में मदद देने के लिए कई प्रकार की सब्सिडी और अनुदान की व्यवस्था की गई है। इन सेंटर्स के किराए, बिजली, बैंडविड्थ और डेटा सर्विस पर 20 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश के स्थानीय कर्मचारियों के वेतन पर पेरोल सब्सिडी के तहत 1.8 लाख रुपये तक की प्रतिपूर्ति दी जाएगी। फ्रेशर और इंटर्न भर्ती करने पर 20,000 रुपये तक का लाभ और इंटर्नशिप के लिए 5,000 रुपये प्रति माह की सहायता दी जाएगी।
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