स्टांप और रजिस्ट्रेशन शुल्क सीमित
नई व्यवस्था के तहत, अगर कोई व्यक्ति अपनी पैतृक अचल संपत्ति को परिवार के अन्य सदस्यों, यानी स्वयं, जीवित वारिस और तीन पीढ़ियों तक के वंशजों के बीच बांटना चाहता है, तो उसके लिए स्टांप शुल्क अधिकतम ₹5000 ही देना होगा। यही नहीं, रजिस्ट्रेशन फीस भी अधिकतम ₹5000 तक सीमित कर दी गई है। इससे पहले, संपत्ति बंटवारे पर भारी-भरकम स्टांप ड्यूटी लगती थी, जिससे न केवल आर्थिक बोझ बढ़ता था, बल्कि कई बार कानूनी विवाद भी उत्पन्न होते थे।
सेटलमेंट डीड की प्रक्रिया भी होगी सस्ती
इस नई व्यवस्था के अंतर्गत सेटलमेंट डीड भी केवल ₹5000 में तैयार करवाई जा सकेगी। यह बदलाव उन परिवारों के लिए खास राहत लेकर आया है जो आपसी सहमति से पैतृक संपत्ति का बंटवारा करना चाहते हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने साफ निर्देश दिए हैं कि यह नियम पूरे प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू किए जाएं और इसे सरलता से जमीन पर उतारा जाए।
परिवारों में झगड़े होंगे कम, कानूनी प्रक्रिया होगी आसान
सरकार का मानना है कि इस फैसले से परिवारों के बीच संपत्ति को लेकर उत्पन्न होने वाले झगड़ों और कानूनी मुकदमों में भारी कमी आएगी। लोगों को अब कोर्ट-कचहरी के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे और परिवार में आपसी सौहार्द बना रहेगा।
पुरानी व्यवस्था खत्म, नया कानून करेगा पारदर्शिता सुनिश्चित
पहले की व्यवस्था में बंटवारे की प्रक्रिया लंबी और खर्चीली हुआ करती थी। इससे संपत्ति बंटवारे को लेकर लोग अक्सर निर्णय टालते थे या फिर विवाद में फंस जाते थे। नई नीति पारदर्शी, त्वरित और किफायती है, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में इसका व्यापक लाभ मिलेगा।
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