गुप्त ऑपरेशन से CIA को करारा झटका
यह परीक्षण इस कदर गुप्त रखा गया कि दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी मानी जाने वाली CIA (अमेरिका की खुफिया एजेंसी) तक को भनक नहीं लगी। अमेरिका ने भारत की जासूसी के लिए पोखरण पर नजर रखने हेतु चार सैटेलाइट तैनात कर रखे थे। लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने कौशल और सतर्क रणनीति से इन सभी सैटेलाइट्स को चकमा दे दिया।
मिशन में शामिल वैज्ञानिकों ने एक-दूसरे से कोड भाषा में बात करना शुरू कर दिया था, और नकली नामों का इस्तेमाल किया। हालात ऐसे बन गए थे कि वैज्ञानिक कभी-कभी अपने ही सहयोगियों का असली नाम भूल जाते थे। यह स्तर था उस सुरक्षा और गोपनीयता का, जो इस मिशन की सफलता की कुंजी बनी।
'स्माइलिंग बुद्धा' से 'शक्ति' तक का सफर
भारत ने इससे पहले 1974 में पहला परमाणु परीक्षण किया था, जिसे 'स्माइलिंग बुद्धा' नाम दिया गया था और यह परीक्षण इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान हुआ था। लेकिन 1998 का परीक्षण, जिसे 'शक्ति' मिशन नाम दिया गया, भारत को असल मायनों में न्यूक्लियर ताकत बनाने वाला क्षण बन गया।
आपको बता दें की इस दिन भारत ने दुनिया को यह संदेश दे दिया कि हम शांति में विश्वास रखते हैं, लेकिन आत्मरक्षा में पूरी तरह सक्षम हैं। यह परीक्षण भारत की वैज्ञानिक प्रगति, राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और रणनीतिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया।
पोखरण-2 के बाद बदला वैश्विक समीकरण
भारत के इस कदम के बाद वैश्विक राजनीतिक समीकरणों में भारी बदलाव आया। अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और कई अन्य देशों को झटका लगा। भारत के इस साहसिक फैसले ने उसे न केवल एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया, बल्कि दुनिया में उसका रुतबा भी बढ़ा।
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