क्या है फिटमेंट फैक्टर और इसका महत्व
वेतन आयोगों की सिफारिशों में फिटमेंट फैक्टर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक ऐसा गुणांक (multiplier) होता है जिसका उपयोग वर्तमान मूल वेतन को संशोधित करने में किया जाता है। यह सभी ग्रेड्स और वेतन-बैंड्स में समान वेतन वृद्धि सुनिश्चित करता है।
7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था, जिसके चलते न्यूनतम वेतन ₹7,000 से बढ़कर ₹18,000 हो गया था। वहीं पेंशन ₹3,500 से बढ़कर ₹9,000 तक पहुंच गई थी। इसके साथ ही स्वास्थ्य बीमा योजना भी लागू की गई थी। नए वेतन आयोग में भी कर्मचारियों की सैलरी में जबरदस्त वृद्धि होगी और अन्य सुविधाएँ मिलेगी।
8वें वेतन आयोग से क्या हैं अपेक्षाएं?
हालांकि 8वें वेतन आयोग का अधिकारिक फिटमेंट फैक्टर अभी घोषित नहीं हुआ है, परंतु अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह लगभग 2.5 हो सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि यदि किसी कर्मचारी का वर्तमान मूल वेतन ₹40,000 है, तो संशोधित वेतन ₹40,000 × 2.5 = ₹1,00,000 तक पहुंच सकता है। इससे न केवल वेतन में भारी वृद्धि होगी, बल्कि पेंशनरों को भी बड़ा लाभ मिलने की संभावना है।
वेतन वृद्धि की गणना कैसे करें?
यदि आप जानना चाहते हैं कि आपकी सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होगी, तो यह जानना जरूरी है कि आपका वर्तमान मूल वेतन क्या है और फिटमेंट फैक्टर कितना होगा। उदाहरण के लिए: वर्तमान मूल वेतन: ₹40,000, संभावित फिटमेंट फैक्टर: 2.5 तो संशोधित वेतन: ₹40,000 × 2.5 = ₹1,00,000 प्रति माह होगा। हालांकि यह केवल अनुमान है। वास्तविक बढ़ोतरी का पता तब चलेगा जब आयोग अपनी अंतिम सिफारिशें पेश करेगा।
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