बता दें की इस अवसर पर जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव स्वयं उपस्थित रहे और पूरी प्रक्रिया की निगरानी की। मंत्री ने कहा, “यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि इंजीनियर मन से काम करें, मगर किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
पारदर्शिता बनी उदाहरण
करीब 30 मिनट तक चली तबादले की प्रक्रिया में इंजीनियरों को अपने सामने ट्रांसफर विकल्प चुनने का मौका मिला। यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पारदर्शी थी, जिससे किसी भी पक्षपात या अनुचित लाभ की गुंजाइश नहीं रही। जलशक्ति मंत्री ने सभी को चेताया कि यह तैनाती भले ही उनकी पसंद की हो, लेकिन जनहित के कामों में किसी भी प्रकार की शिथिलता या लापरवाही पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
कौन-कौन शामिल रहे?
ट्रांसफर की इस प्रक्रिया में 7 अधिशासी अभियंता, 7 एक्सियन, 21 सहायक अभियंता और 60 जूनियर इंजीनियर शामिल हैं। खास बात यह रही कि इनमें कई कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी भी हैं, जो लंबे समय से एक ही जिले में तैनात थे। अब उन्हें भी नई जगहों पर काम करने का मौका मिला है।
मंत्री ने दी शुभकामनाएं
नई तैनाती पाने वाले सभी इंजीनियरों को मंत्री ने बधाई देते हुए चेतावनी भी दी कि "अब बहाने नहीं, सिर्फ नतीजे चाहिए।" उन्होंने कहा कि विभागीय कार्यों में ईमानदारी और सक्रियता से काम करना अब अनिवार्य होगा। ताकि जनहित के कामों में तेजी आये।
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