पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि यह माफ किया गया कर्ज मार्च 2020 तक का है, जिसमें 30 करोड़ रुपये मूलधन, 22 करोड़ रुपये ब्याज और 15 करोड़ रुपये पीनल इंटरेस्ट शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस कर्जमाफी को 2025-26 के बजट में पहले ही शामिल कर लिया गया था।
उन्होंने बताया कि डिफॉल्टर परिवारों की असली समस्याओं को समझते हुए सरकार ने संवेदनशीलता के साथ यह निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 2020 के बाद कर्ज लेने वाले लाभार्थियों के मामलों को भी मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाएगा। मंत्री ने कहा, “इन दलित परिवारों की आर्थिक परिस्थिति ही ऐसी थी कि वे समय पर कर्ज चुका नहीं सके, इसके बावजूद इनका रिकवरी रेट 84 फीसदी रहा, जो कोई कम आंकड़ा नहीं है।”
कृषि कर्ज संकट और नाबार्ड की किश्तें
कर्जमाफी के इस ऐलान के बीच राज्य में कृषि क्षेत्र को लेकर चिंता भी सामने आई है। जनवरी में विधानसभा में यह मामला उठा था कि पंजाब स्टेट कोऑपरेटिव एग्रीकल्चर डिवेलपमेंट बैंक के पास किसानों को देने के लिए नया कर्ज उपलब्ध नहीं है। आंकड़ों के अनुसार, राज्य के 55,574 किसानों पर करीब 1444 करोड़ रुपये का बकाया है। वहीं केवल 300 करोड़ रुपये की वसूली से ही नाबार्ड की किश्तों और कर्मचारियों के वेतन की व्यवस्था की जा रही है।
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