यूपी में विवाह पंजीकरण को लेकर नए निर्देश जारी

लखनऊ | उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब विवाह पंजीकरण केवल उसी जिले में मान्य होगा, जहां वर या वधु अथवा उनके माता-पिता स्थायी रूप से निवास करते हैं। यह फैसला विवाह के नाम पर हो रहे व्यापक जालसाजी के मामलों को रोकने के लिए लिया गया है।

फर्जी पंजीकरण और रैकेट का खुलासा

हालिया जांच में सामने आया है कि गाजियाबाद, नोएडा, प्रयागराज, लखनऊ, मेरठ और कानपुर जैसे शहरों में ऐसे रैकेट सक्रिय हैं, जो घर से भागे जोड़ों की शादी कराते हैं और आर्य समाज के नाम पर फर्जी विवाह प्रमाण पत्र तैयार कराते हैं। इतना ही नहीं, कई मामलों में दूसरे राज्यों के जोड़ों की शादी यूपी में दिखाकर वहीं रजिस्ट्रेशन भी करा दिया जाता है।

कोई वैरिफिकेशन सिस्टम नहीं

हाईकोर्ट ने एआईजी स्टांप गाजियाबाद, नोएडा और प्रयागराज को व्यक्तिगत रूप से रजिस्ट्रेशन डाटा के साथ कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया। जानकारी मिली कि अकेले गाजियाबाद में एक साल में करीब 29,000 विवाह पंजीकरण हुए हैं, जबकि नोएडा और प्रयागराज में भी आंकड़े इसी के आसपास हैं। स्टांप एवं पंजीकरण विभाग ने कोर्ट में दलील दी कि अभी तक पंजीकरण की वैधता सत्यापित करने की कोई प्रक्रिया या नियमावली नहीं है।

हाईकोर्ट का आदेश और नई व्यवस्था

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान स्टांप व रजिस्ट्रेशन विभाग को छह महीने के भीतर विवाह पंजीकरण के नियमों में बदलाव लाने के निर्देश दिए। तब तक यह व्यवस्था लागू रहेगी कि विवाह पंजीकरण केवल उसी जिले में होगा जहां वर या वधु या उनके माता-पिता स्थायी निवासी होंगे।

नए दिशा-निर्देशों के तहत:

अपंजीकृत रेंट एग्रीमेंट अब मान्य नहीं होगा।

वर-वधु की उम्र का दस्तावेजों के माध्यम से सत्यापन अनिवार्य होगा।

परिजनों की मौजूदगी में विवाह कराने वाले की उपस्थिति आवश्यक नहीं होगी।

यदि विवाह के समय परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं है, तो विवाह संस्कार कराने वाला व्यक्ति शपथपत्र देगा और उसकी उपस्थिति भी रजिस्ट्रार के कार्यालय में जरूरी होगी।

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