भारत के पास 2 शक्तिशाली SLBM मिसाइलें: चीन को चिंता!

नई दिल्ली – हिंद महासागर में अब भारत की सामरिक ताकत और भी मजबूत हो गई है। देश के पास दो अत्याधुनिक और घातक सबमरीन से लॉन्च की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें (SLBM) – K-15 सागरिका और K-4 – मौजूद हैं, जो भारत को ‘स्ट्रैटेजिक ट्रायड’ यानी भूमि, वायु और समुद्र से परमाणु हमला करने की क्षमता प्रदान करती हैं। इन मिसाइलों की मौजूदगी से चीन की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है, खासकर ऐसे समय में जब एशिया में सामरिक दबदबे की होड़ तेज़ हो गई है।

K-15 सागरिका: सटीक और घातक

K-15 सागरिका मिसाइल भारत की पहली SLBM मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। यह मिसाइल 750 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है और पनडुब्बी से लॉन्च की जा सकती है। इसकी खासियत यह है कि यह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और बहुत ही सटीकता के साथ टारगेट को भेद सकती है। सागरिका को INS Arihant जैसी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों से लॉन्च किया जाता है।

K-4 मिसाइल: लंबी दूरी की समुद्री शक्ति

K-4 मिसाइल K-15 से कहीं ज्यादा घातक और दूर तक मार करने वाली प्रणाली है। इसकी मारक क्षमता करीब 3,500 किलोमीटर तक है, जिससे यह मिसाइल चीन के अधिकांश प्रमुख शहरों को निशाना बना सकती है — वह भी समुद्र के अंदर छुपी पनडुब्बियों से।

K-4 को भी DRDO ने विकसित किया है और इसका परीक्षण सफलतापूर्वक किया जा चुका है। यह मिसाइल भी INS Arihant जैसे प्लेटफॉर्म से लॉन्च की जाती है। इसकी रेंज और गतिशीलता इसे दक्षिण एशिया की सबसे प्रभावशाली SLBM में से एक बनाती है। इसकी रेंज 3500 किमी हैं।

चीन की बढ़ती चिंता

भारत की SLBM ताकत में वृद्धि से चीन की चिंता वाजिब है। चीन भले ही खुद एक मजबूत नौसैनिक शक्ति हो, लेकिन भारत की ‘नो-फर्स्ट यूज़’ नीति के साथ परमाणु त्रिकोण पूरा होना उसे एक संतुलन प्रदान करता है, जिससे भारत पर दबाव बनाना अब पहले जितना आसान नहीं रह गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि समुद्र के भीतर से जवाबी हमला करने की क्षमता किसी भी देश की परमाणु नीति में अहम भूमिका निभाती है, और SLBM इस दिशा में भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

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