भारत ने बनाया सेमीक्रायोजेनिक इंजन: टेस्ट सफल!

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित ISRO प्रोपल्शन कांप्लेक्स (IPRC) में सेमीक्रायोजेनिक इंजन के पावर हेड टेस्ट आर्टिकल (PHTA) का तीसरा हॉट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया गया। यह परीक्षण भारत की अंतरिक्ष शक्ति को और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

तीसरा सफल हॉट टेस्ट

ISRO के अनुसार, 28 मई को किए गए इस हॉट टेस्ट के दौरान इंजन को तीन सेकंड तक सफलतापूर्वक चालू किया गया। इस दौरान इंजन अपनी निर्धारित शक्ति का 60 प्रतिशत तक संचालित हुआ और सभी तकनीकी मानदंडों पर खरा उतरा। इससे पहले, पहला हॉट टेस्ट 28 मार्च और दूसरा 24 अप्रैल को सफलतापूर्वक किया जा चुका है।

क्या है सेमीक्रायोजेनिक इंजन?

सेमीक्रायोजेनिक इंजन वह तकनीक है जिसमें तरल ऑक्सीजन (LOX) और रिफाइंड केरोसिन (RP-1) जैसे प्रोपेलेंट्स का उपयोग किया जाता है। यह तकनीक पूर्ण क्रायोजेनिक इंजन की तुलना में अपेक्षाकृत सरल और अधिक थ्रस्ट प्रदान करने में सक्षम मानी जाती है। इसरो द्वारा विकसित किया जा रहा यह इंजन भविष्य के हैवी-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा।

भविष्य के लिए बढ़ेगी रॉकेट की ताकत

सेमीक्रायोजेनिक इंजन के विकास का उद्देश्य भारत के रॉकेट्स की पेलोड क्षमता को बढ़ाना है, जिससे अंतरिक्ष में भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण की क्षमता हासिल की जा सके। यह तकनीक विशेष रूप से Gaganyaan जैसे मानव अंतरिक्ष मिशन और दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।

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