बिहार में शिक्षकों की छुट्टियों को लेकर बड़ा बदलाव!

पटना: बिहार के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के लिए छुट्टियों की स्वीकृति प्रक्रिया को लेकर शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लिया है। अब छुट्टियों की स्वीकृति को लेकर स्पष्ट और पारदर्शी व्यवस्था लागू होगी। शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को निर्देश जारी किया है कि अवकाश संबंधी नए दिशा-निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए और शिक्षकों को अवकाश के लिए भटकना न पड़े।

क्यों लिया गया यह फैसला?

विभाग को विभिन्न जिलों से ऐसी शिकायतें मिली थीं कि शिक्षकों की छुट्टी की स्वीकृति प्रक्रिया में एकरूपता नहीं है, जिससे कई शिक्षकों को छुट्टी लेने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसे देखते हुए विभाग ने नई गाइडलाइन लागू की है, ताकि सभी जिलों में एक समान प्रक्रिया अपनाई जा सके और किसी भी शिक्षक के साथ भेदभाव न हो।

अवकाश के प्रकार और नियम

असाधारण अवकाश – इस पर कोई वेतन देय नहीं होगा।

उपार्जित अवकाश – कुल अधिकतम 300 दिन तक संचित किया जा सकता है।

मातृत्व / प्रसव अवकाश – दो से कम जीवित संतान वाली महिला को 180 दिन का अवकाश देय।

विशेष आकस्मिक अवकाश (महिला शिक्षकों के लिए) – प्रत्येक माह दो दिन अनुमन्य। यह भी 12 दिनों से अधिक लगातार नहीं हो सकती।

बाल देखभाल अवकाश (महिला शिक्षकों के लिए) – दो संतान तक के लिए, संपूर्ण सेवा काल में 2 वर्षों तक का अवकाश अनुमन्य।

पितृत्व अवकाश – बच्चे के जन्म से पहले 15 दिन पहले से लेकर 6 महीने तक की अवधि के भीतर 15 दिनों तक का अवकाश अनुमन्य।

अदेय छुट्टी (लीव नॉट ड्यू) –सेवाकाल में 180 दिन तक दी जा सकती है, लेकिन यह भविष्य में अर्जित आधे वेतन की छुट्टियों से समायोजित होगी।

रूपांतरित अवकाश – सेवाकाल में अधिकतम 180 दिनों तक पूर्ण वेतन पर अनुमन्य। यह आधे वेतन की अर्जित 360 दिनों की छुट्टी के विरुद्ध होगा।

आकस्मिक अवकाश –प्रत्येक वर्ष 16 दिन अनुमन्य। यह सार्वजनिक अवकाश सहित 12 दिनों से अधिक लगातार नहीं लिया जा सकता। आवेदन की तिथि पर ही निर्णय लिया जाएगा।

आधे वेतन पर अवकाश – निजी कारणों या स्वास्थ्य समस्याओं के लिए लिया जा सकता है। यह तब तक नहीं मिलेगा जब तक सक्षम प्राधिकारी को यह विश्वास न हो कि कर्मचारी अवकाश के बाद ड्यूटी पर लौटेगा।

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