क्या है होमस्टे नीति-2025?
नई नीति के तहत अब कोई भी नागरिक अपने घर के 1 से 6 कमरे तक की इकाई को होमस्टे के रूप में पंजीकृत करा सकता है। इसमें अधिकतम 12 बेड की अनुमति दी गई है। पर्यटक एक होमस्टे में अधिकतम सात दिन तक ठहर सकते हैं, जिसकी रिन्यूअल की सुविधा भी रहेगी। इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में गठित समिति को सौंपी गई है।
पंजीकरण प्रक्रिया होगी आसान
वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने जानकारी दी कि ग्रामीण क्षेत्रों में होमस्टे के लिए मात्र ₹500 से ₹750 तक का शुल्क लिया जाएगा, जबकि शहरी या सिल्वर श्रेणी के होमस्टे के लिए ₹2000 का आवेदन शुल्क तय किया गया है। पहले संचालकों को केंद्र सरकार के निधि प्लस पोर्टल पर पंजीकरण कराना पड़ता था, लेकिन अब राज्य सरकार की नई नीति के तहत स्थानीय निकायों की अनापत्ति प्रमाणपत्र के साथ पंजीकरण संभव होगा।
पर्यटन के साथ रोजगार को भी मिलेगा बढ़ावा
सरकार का मानना है कि उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को देखते हुए यह नीति घरेलू और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी। इसके साथ ही, स्थानीय निवासियों को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और अनुदान की व्यवस्था भी की गई है। इससे लोगों को अपने घरों के माध्यम से आय का नया स्रोत मिलेगा और ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
अर्थव्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मिलेगा बल
सरकार का दावा है कि यह नीति न सिर्फ सस्ते और बेहतर ठहरने के विकल्प मुहैया कराएगी, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था और पर्यटन अवसंरचना को भी मजबूत बनाएगी। धार्मिक पर्यटन स्थलों पर होटल की कमी को देखते हुए यह कदम समय की मांग था, जिससे अब श्रद्धालुओं और पर्यटकों को ठहरने की कोई परेशानी नहीं होगी।
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