प्रोजेक्ट में देरी, फिर भी उम्मीद बरकरार
हालांकि यह परियोजना एक साल से अधिक की देरी का सामना कर चुकी है। अमेरिका स्थित GE एयरोस्पेस द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले F404 इंजन की विलंबित डिलीवरी ने इस प्रोजेक्ट की रफ्तार धीमी कर दी। लेकिन अब HAL की टीम उत्पादन के अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, और पहले Mk-1A के सौंपे जाने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है।
क्या है तेजस Mk-1A की खासियत?
तेजस Mk-1A, मौजूदा Mk-1 वर्जन का उन्नत संस्करण है। इसे भारतीय वायुसेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए एक मल्टीरोल फाइटर जेट के रूप में डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य पुराने मिग-21 जैसे जेट्स की जगह लेना है, जो दशकों से सेवा में हैं।
निर्माण और उत्पादन क्षमता
तेजस Mk-1A का निर्माण HAL की बेंगलुरु और नासिक इकाइयों में किया जा रहा है। दोनों मिलकर हर साल लगभग 24 फाइटर जेट्स का उत्पादन कर सकती हैं। Mk-1A का हर यूनिट करीब ₹580 करोड़ रुपये में तैयार होता है, हालांकि यह लागत अनुबंध और कस्टम कॉन्फ़िगरेशन के अनुसार बदल सकती है।
रक्षा रणनीति में बड़ा बदलाव
तेजस Mk-1A का आगमन भारतीय वायुसेना के लिए एक रणनीतिक मोड़ साबित हो सकता है। इसके जरिए देश न केवल पुराने लड़ाकू विमानों से निजात पाएगा, बल्कि उन्नत और स्वदेशी तकनीक से लैस एक लचीला एयर कॉम्बैट प्लेटफॉर्म हासिल करेगा।
प्रमुख तकनीकी विशेषताएं:
गति: मैक 1.8 (लगभग 2,200 किमी/घंटा)
इंजन: GE F404-IN20 टर्बोफैन, 85 kN थ्रस्ट
वजन: अधिकतम टेक-ऑफ वजन 13,500 किलोग्राम
रेंज: 1,850 किमी (इन-फ्लाइट रिफ्यूलिंग के साथ और अधिक)
हथियार प्रणाली: 23 मिमी GSh-23 तोप, 7 हार्डपॉइंट, Astra BVR मिसाइल, ब्रह्मोस-NG (भविष्य में), लेजर-गाइडेड बम।
सेंसर और तकनीक: EL/M-2052 AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सुइट, स्वदेशी डेटा लिंक और संचार प्रणाली।
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