भारत को अमेरिका से मिलेंगे ये 6 हथियार: चीन सन्न!

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में एक अहम कदम उठाते हुए छह और P-8I मारिटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट की खरीद पर बातचीत अंतिम चरण में है। यह डील भारत की नौसेना की समुद्री निगरानी और रक्षा क्षमता को और मजबूत करेगी, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में जहां चीन की सैन्य सक्रियता बढ़ रही है। इस लेख में हम P-8I विमान की विशेषताओं, भूमिका और इस डील के महत्व पर चर्चा करेंगे।

P-8I विमान क्या है?

P-8I पोसाइडन विमान अमेरिका की प्रमुख विमान निर्माता कंपनी बोइंग द्वारा निर्मित एक उच्च तकनीकी मल्टी-रोल समुद्री निगरानी विमान है। इसे खासतौर पर लंबी दूरी की समुद्री निगरानी, एंटी-सबमरीन युद्ध (ASW) और सतह युद्ध (ASuW) के लिए डिजाइन किया गया है।

इस विमान में अत्याधुनिक रडार सिस्टम, सोनार बुएस, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर कैपेबिलिटी और हथियार प्रणालियां जैसे मिसाइलें और टॉरपीडो लगे होते हैं। ये विशेषताएं इसे समुद्र के अंदर छिपी पनडुब्बियों को खोजने और सतह पर मौजूद खतरे नष्ट करने में सक्षम बनाती हैं।

भारत में P-8I की वर्तमान स्थिति

भारत के पास फिलहाल 12 P-8I विमान हैं, जो दो नौसैनिक बेसों पर तैनात हैं। ये विमान भारतीय नौसेना की समुद्री निगरानी को हिंद महासागर क्षेत्र में मजबूत करते हैं, जहां चीन की समुद्री और पनडुब्बी गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं। P-8I विमान न केवल भारत के समुद्री सीमाओं की रक्षा करते हैं, बल्कि यह मित्र देशों के साथ समुद्री सहयोग और संकट प्रबंधन में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इनके माध्यम से भारत अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूती प्रदान करता है।

नई डील का महत्व और प्रभाव

यह नया सौदा लगभग 2.4 अरब डॉलर का है, जिसे भारत की Defence Acquisition Council (DAC) और अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की मंजूरी मिल चुकी है। छह और P-8I विमान मिलने से भारत के पास कुल 18 ऐसे विमान हो जाएंगे।

इससे भारतीय नौसेना की समुद्री निगरानी क्षमता में जबरदस्त वृद्धि होगी। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और पनडुब्बी गतिविधियों के मद्देनजर यह कदम रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। P-8I विमान भारत को क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा में आत्मनिर्भर और प्रभावी बनाने में मदद करेंगे।

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