लेकिन इस संगठन को चलाने के लिए सिर्फ विचारों की नहीं, संसाधनों की भी ज़रूरत होती है — और वो आते हैं सदस्य देशों से मिलने वाली फंडिंग के रूप में। बता दें की संयुक्त राष्ट्र को फंडिंग दो हिस्सों में मिलती है: रेगुलर बजट (Regular Budget), शांति मिशन बजट (Peacekeeping Budget), रेगुलर बजट वह राशि होती है जिससे संयुक्त राष्ट्र के प्रशासन, कार्यक्रमों और ऑपरेशन्स को चलाया जाता है। इसमें प्रत्येक सदस्य देश की आर्थिक स्थिति और क्षमता के अनुसार योगदान तय होता है।
टॉप 10 योगदान देने वाले देश (2025 के अनुमान के अनुसार):
अमेरिका – 22% (लगभग 820 मिलियन डॉलर)
चीन – 20%
जापान – 6%
जर्मनी – 5.6%
ब्रिटेन – 3.9%
फ्रांस – 3.8%
इटली, कनाडा, साउथ कोरिया, रूस। इन शीर्ष दस देशों की संयुक्त फंडिंग, UN के रेगुलर बजट का बड़ा हिस्सा कवर करती है। अमेरिका तो अकेले लगभग एक-चौथाई हिस्सा देता है। फंडिग के मामले में अमेरिका इस लिस्ट में भी टॉप पर हैं।
भारत कहां है इस लिस्ट में?
भारत, जो दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्था में गिना जाता है, फंडिंग के मामले में इस सूची में 34वें स्थान पर है। भारत ने हालिया आंकड़ों के अनुसार 3 करोड़ 76 लाख डॉलर का योगदान दिया है, जो वैश्विक फंडिंग में एक सीमित हिस्सा है।
क्या भारत का योगदान कम है?
संख्या के हिसाब से भारत का योगदान टॉप 10 देशों की तुलना में जरूर कम है, लेकिन इसका एक बड़ा कारण है कि UN फंडिंग की गणना किसी देश की आर्थिक ताकत, प्रति व्यक्ति आय और भुगतान करने की क्षमता के आधार पर की जाती है। भारत एक विकासशील देश है, जहां सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां अभी भी काफी हैं। फिर भी, भारत ने न सिर्फ नियमित बजट में बल्कि शांति सेना (Peacekeeping Forces) में भी एक सक्रिय भूमिका निभाई है, जिससे उसका प्रभाव वैश्विक मंच पर बना हुआ है।
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