1. वोरोनिश रडार
भारत, रूस की वोरोनिश रडार प्रणाली को हासिल करने के लिए वार्ता कर रहा है। यह एक अडवांस्ड ओवर-द-होराइजन रडार है जिसकी रेंज 8000 किलोमीटर से अधिक बताई जा रही है। इस रडार के चित्रदुर्ग (कर्नाटक) में तैनाती की योजना है। यह सिस्टम दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइलों, स्टील्थ विमानों और हाइपरसोनिक हथियारों की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख सकेगा। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों की ओर से आने वाले खतरे के खिलाफ यह रडार भारत की रणनीतिक प्रतिरक्षा क्षमता को कई गुना मजबूत कर सकता है।
2. R-37M मिसाइल
भारतीय वायुसेना ने अपने Su-30MKI बेड़े को और भी ताकतवर बनाने के लिए R-37M हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल में गहरी रुचि दिखाई है। यह मिसाइल 400 किमी तक की मारक क्षमता और हाइपरसोनिक गति से उड़ान भर सकती है। इसका उपयोग दुश्मन के AWACS, टैंकर और अन्य हाई-वैल्यू टार्गेट्स को दूर से ही निष्क्रिय करने के लिए किया जा सकता है। रूस ने इस मिसाइल के स्थानीय निर्माण का प्रस्ताव भी भारत को दिया है।
3. जिरकोन मिसाइल
भारत रूस की अत्याधुनिक जिरकोन हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल की तकनीक को हासिल करने की दिशा में बातचीत कर रहा है। यह मिसाइल 8 से 9 मैक की गति से उड़ने में सक्षम है और इसकी मारक दूरी लगभग 1000 किलोमीटर है। भारत पहले से ही ब्रह्मोस-II जैसी अगली पीढ़ी की मिसाइल पर काम कर रहा है, लेकिन जिरकोन तकनीक से इसमें बड़ी छलांग लग सकती है।
4. चक्र-III पनडुब्बी
भारत और रूस के बीच परमाणु पनडुब्बियों की लीज पर डील का लंबा इतिहास है। भारत ने पहले भी अकुला क्लास की पनडुब्बियों को INS चक्र के नाम से इस्तेमाल किया है। अब भारत तीसरी पनडुब्बी को INS चक्र-III नाम से लीज पर लेने की प्रक्रिया में है। हालांकि डिलीवरी में कुछ देरी आई है, लेकिन यह पनडुब्बी भारत की अंडरवॉटर न्यूक्लियर डिटरेंस को मजबूत करेगी। इस पनडुब्बी की तैनाती हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की निगरानी और जवाबी कार्रवाई की क्षमता को और प्रभावशाली बनाएगी।
5. S-500 मिसाइल सिस्टम
S-400 की सफल तैनाती के बाद भारत अब S-500 ट्रायमफेटर-एम मिसाइल डिफेंस सिस्टम में दिलचस्पी दिखा रहा है। यह सिस्टम न केवल हवा से आने वाले खतरों को बल्कि बैलिस्टिक मिसाइलों और हाइपरसोनिक हथियारों को भी इंटरसेप्ट करने में सक्षम है। इसकी तैनाती से भारत की वायु सुरक्षा को अभूतपूर्व मजबूती मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिस्टम ए-135 और S-400 का उन्नत संस्करण है और आने वाले दशकों के लिए एक गेमचेंजर साबित हो सकता है।
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