यह फैसला कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों द्वारा समयसीमा बढ़ाने की मांग के बाद लिया गया है। कर्मचारी संगठनों ने कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर कहा था कि बड़ी संख्या में कर्मचारी अब भी स्कीम से जुड़ने के इच्छुक हैं, लेकिन उन्हें प्रक्रिया पूरी करने के लिए अधिक समय चाहिए।
कम भागीदारी बनी चिंता का विषय
देशभर में केंद्र सरकार के करीब 23 लाख कर्मचारी हैं, लेकिन अब तक केवल 1 लाख कर्मचारियों ने ही यूनिफाइड पेंशन स्कीम का विकल्प चुना है। इतनी कम भागीदारी ने सरकार को चिंतित कर दिया था और इसी के मद्देनजर शीर्ष स्तर पर पुनर्विचार किया गया। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय कर्मचारियों की सुविधा और स्कीम में उनकी भागीदारी बढ़ाने के इरादे से लिया गया है।
क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)?
UPS एक नई पेंशन योजना है, जिसे सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से लागू किया है। इसका उद्देश्य नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) और पुरानी पेंशन योजना (OPS) के बीच संतुलन बनाना है। UPS में NPS की तरह निवेश का अवसर मिलता है, लेकिन साथ ही कुछ गारंटीड लाभ भी जोड़े गए हैं, ताकि कर्मचारियों को भविष्य की वित्तीय सुरक्षा मिल सके।
क्यों हो रही थी देरी?
कई कर्मचारी UPS में शामिल होने से हिचकिचा रहे थे। इसकी प्रमुख वजहें थीं: 25 साल की सेवा की अनिवार्यता, योग्य परिवार सदस्यों की सख्त परिभाषा, पेंशन लाभ को लेकर अस्पष्टता। इन्हीं मुद्दों के चलते सरकार ने अगस्त 2025 में UPS नियमों में कुछ अहम बदलाव किए।
क्या हुए हैं प्रमुख बदलाव?
सेवा की अनिवार्यता घटाई गई, अब कर्मचारियों को UPS के पूर्ण लाभ के लिए 25 की बजाय 20 साल की सेवा पूरी करनी होगी। विकलांगता या मृत्यु की स्थिति में बेहतर सुरक्षा, अगर कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है या उसे विकलांगता हो जाती है, तो उसके परिजनों को बेहतर वित्तीय लाभ मिलेंगे। इन बदलावों से खासकर अर्धसैनिक बलों के जवानों को बड़ी राहत मिलेगी, जो अक्सर समय से पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेते हैं।
अब क्या करें कर्मचारी?
सरकार ने अब साफ कर दिया है कि 30 नवंबर 2025 तक सभी पात्र कर्मचारी UPS को अपनाने का विकल्प चुन सकते हैं। यह अंतिम अवसर हो सकता है, इसलिए जिन कर्मचारियों ने अभी तक निर्णय नहीं लिया है, उन्हें जल्द ही सभी तथ्यों का मूल्यांकन कर विकल्प चुनना चाहिए।
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