मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं का तेजी से विस्तार
वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य सरकार ने 25 जिलों में कुल 32 अनुमंडल स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं स्थापित करने का निर्णय लिया है। इनमें गोपालगंज, अररिया, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, मधेपुरा जैसे जिलों में एक-एक प्रयोगशाला बनेगी, जबकि पटना, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, सुपौल जैसे जिलों में दो-दो प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। पहले से राज्य में 14 अनुमंडल स्तरीय, 38 जिला स्तरीय, 9 प्रमंडल स्तर की चलंत और 72 ग्राम स्तर की मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं काम कर रही हैं।
आधुनिक तकनीक से होगी जांच
मिट्टी जांच की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और वैज्ञानिक बनाने के लिए अब सॉफ्टवेयर आधारित नमूना संग्रहण प्रणाली अपनाई गई है। कृषि विभाग के कर्मी खेत में जाकर किसान की जमीन का फोटो लेते हैं, साथ ही GPS के माध्यम से अक्षांश और देशान्तर की जानकारी भी दर्ज की जाती है। इन जानकारियों के साथ किसान का नाम, पता और खेत का विवरण भी ऐप में अपलोड किया जाता है।
मिट्टी की सेहत का हो रहा मूल्यांकन
मिट्टी जांच से किसानों को अपने खेत की 'सेहत' की सही जानकारी मिलती है। खेत में कौन-से पोषक तत्व हैं, कौन-से नहीं हैं, और किस तरह की फसल वहां सबसे उपयुक्त होगी – इन सब जानकारियों के आधार पर किसान बेहतर उत्पादन की दिशा में कदम उठा सकते हैं। 2024-25 में राज्य भर से लगभग पाँच लाख मिट्टी के नमूने एकत्र कर उनकी जांच की गई थी। यह पहल किसानों को वैज्ञानिक कृषि की ओर ले जा रही है।
किसानों को होगा सीधा लाभ
यह नई व्यवस्था किसानों के लिए समय और पैसे की बचत करेगी। उन्हें अब मिट्टी जांच के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी और न ही निजी प्रयोगशालाओं पर निर्भर रहना होगा। साथ ही, जांच के बाद उन्हें पोषक तत्वों की जरूरत और उर्वरकों के सही इस्तेमाल की जानकारी मिलेगी, जिससे न केवल लागत घटेगी बल्कि उपज भी बढ़ेगी।
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