यूपी में 'शिक्षकों' के लिए फरमान, नई व्यवस्था होगी लागू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने बुनियादी और माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य के सभी परिषदीय विद्यालयों में अब शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे लगातार गैरहाजिर रहने वाले बच्चों के घरों से संपर्क करें, उनसे गैरहाजिरी का कारण पूछें और उन्हें दोबारा स्कूल आने के लिए प्रेरित करें।

हर बच्चे तक शिक्षा की पहुंच

अपर मुख्य सचिव (बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा) पार्थ सारथी सेन शर्मा की अध्यक्षता में हुई राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद यह दिशा-निर्देश सभी जिलों को भेजे गए हैं। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए। विशेष ध्यान उन विद्यार्थियों पर रहेगा जो संक्रमण कक्षाओं  यानी कक्षा पाँच से छह, आठवीं से नौवीं और दसवीं से ग्यारहवीं में नामांकन के दौरान स्कूल बदलते हैं या पढ़ाई छोड़ देते हैं।

शिक्षकों की नई जिम्मेदारी

अब शिक्षकों को यह भी देखना होगा कि जिन छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है, उन्होंने किसी अन्य विद्यालय में प्रवेश लिया है या नहीं। यदि कोई बच्चा किसी भी संस्थान में नामांकित नहीं पाया जाता, तो उसका नामांकन सुनिश्चित करना शिक्षकों और बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) की जिम्मेदारी होगी।

संसाधनों पर विशेष ध्यान

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में खाली पदों को भरने की प्रक्रिया अब एक महीने के भीतर पूरी की जाएगी। इसके अलावा, सभी विद्यालयों में फर्नीचर, खेल सामग्री और दैनिक उपयोग की वस्तुओं की खरीद प्रक्रिया 15 नवंबर तक पूरी करने का निर्देश दिया गया है।

स्मार्ट शिक्षा की ओर कदम

राज्य सरकार ने स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब और डिजिटल लाइब्रेरी को पूरी तरह कार्यशील बनाने पर जोर दिया है। इसका उद्देश्य ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में शिक्षा को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना है।

सख्त निगरानी और जवाबदेही

अब सुस्त जिलों की साप्ताहिक समीक्षा सीधे लखनऊ से की जाएगी। जिन जिलों में कार्य प्रगति धीमी पाई जाएगी, वहां के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, माध्यमिक शिक्षा विभाग को 2026 की बोर्ड परीक्षा से संबंधित पंजीकरण और परीक्षा केंद्र निर्धारण में पारदर्शिता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।

सहायक कार्यक्रमों पर भी जोर

राज्य सरकार ने स्कूलों में किचन गार्डन, मनोदर्पण पोर्टल (मानसिक स्वास्थ्य पहल) और दिव्यांग बच्चों के डाटा अपलोड जैसी योजनाओं के क्रियान्वयन को भी तेज करने को कहा है।

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