बिहार बना देश का नंबर-1 राज्य: जानकर होंगे खुश!

पटना। भारत की आर्थिक तस्वीर अब तेजी से बदल रही है और इस बदलाव का एक बड़ा केंद्र बिहार है। एचएसबीसी की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, FY23 से FY25 के बीच बिहार ने 10.3% की रियल GSDP ग्रोथ दर्ज की, जो देश की औसत 7.8% से कहीं अधिक है। 

इस प्रदर्शन के साथ बिहार ने कम आय वाले राज्यों में नेतृत्व स्थापित किया है और अन्य उभरते राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, असम और राजस्थान को पीछे छोड़ दिया है। एचएसबीसी की ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि यह बदलाव कोरोना महामारी के पहले के दौर से अलग है। पहले अमीर राज्यों की वृद्धि ज्यादा तेज़ थी, लेकिन अब उभरते राज्यों में ‘ग्रोथ कन्वर्जेंस’ देखने को मिल रही है। इसमें प्रमुख कारण राज्यों में बढ़ती आमदनी और पब्लिक निवेश हैं।

पब्लिक निवेश बना मुख्य कारण

इन राज्यों ने अपने सार्वजनिक निवेश यानी पब्लिक कैपिटल एक्सपेंडिचर में तेजी दिखाई। बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्थिर नीतियों के कारण प्राइवेट निवेश भी बढ़ा। बिहार और उत्तर प्रदेश ने FY23 से FY25 के बीच क्रमशः 10.3% और 9% की रियल GSDP ग्रोथ दर्ज की, जो देश की औसत 7.8% से कहीं अधिक है। बिहार में FY25 में इंडस्ट्री का हिस्सा पहली बार कृषि से आगे बढ़ गया। वहीं, उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी जैसे क्षेत्र में निर्यात में जबरदस्त उछाल आया।

क्यों तेज़ी से बढ़ रहे हैं गरीब राज्य

सोलो-स्वैन ग्रोथ मॉडल के अनुसार, जहां पूंजी कम होती है, वहां निवेश से ज्यादा विकास हासिल होता है। अमीर राज्य अपनी सीमा के करीब हैं, इसलिए उनकी वृद्धि धीमी होती है, जबकि कम आय वाले राज्य नई पूंजी से जल्दी आगे बढ़ सकते हैं।

हालांकि चुनौतियां भी हैं बहुत

हालांकि, विकास की इस रफ्तार को खतरा भी है। केंद्र की टैक्स आमदनी की वृद्धि धीमी हो रही है और लोकलुभावन योजनाओं पर खर्च बढ़ने से वित्तीय घाटा बढ़ सकता है। यदि राज्य अपनी आय बढ़ाने या निवेश बनाए रखने में असफल रहते हैं, तो CAPEX और विकास की गति प्रभावित हो सकती है।

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