भारत की 2 देशों से बड़ी सैन्य डील, चीन की बढ़ी टेंशन!

नई दिल्ली। भारत ने एक ही हफ्ते में दो अहम रणनीतिक रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर कर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया है। पहले अमेरिका के साथ ऐतिहासिक 10 वर्षीय रक्षा रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तुरंत बाद ऑस्ट्रेलिया के साथ सेना-से-सेना स्टाफ वार्ता में सहयोग के नए आयाम तय किए गए। इन दोनों समझौतों ने चीन की रणनीतिक चिंताओं को और बढ़ा दिया है, क्योंकि ये डील्स सीधे तौर पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी बढ़ती गतिविधियों को संतुलित करने की दिशा में मानी जा रही हैं।

भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग: तकनीकी साझेदारी पर फोकस

कैनबरा में 29 से 31 अक्टूबर तक हुई भारत-ऑस्ट्रेलिया सेना-से-सेना वार्ता में दोनों देशों ने जल, थल और वायु अभियानों के साथ-साथ मानव रहित विमान प्रणालियों (UAS) और साझा प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया। इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ऑस्ट्रेलियाई युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और रॉयल मिलिट्री कॉलेज डंटरून का दौरा भी किया।

वार्ता का मुख्य उद्देश्य रक्षा सहयोग को सिर्फ सैन्य प्रशिक्षण तक सीमित न रखकर, उन्नत तकनीक, ड्रोन सिस्टम और समुद्री निगरानी जैसे क्षेत्रों तक विस्तारित करना था। दोनों देशों ने क्षेत्रीय स्थिरता और स्वतंत्र इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की प्रतिबद्धता दोहराई।

भारत-अमेरिका 10 वर्षीय रक्षा रूपरेखा: ऐतिहासिक करार

दूसरी ओर, मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने एक ऐतिहासिक 10 वर्षीय रक्षा साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। 

इसके तहत दोनों देश उन्नत हथियार प्रणालियों, संयुक्त निर्माण, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष रक्षा और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएंगे। यह करार भारत की “आत्मनिर्भर रक्षा रणनीति” को मजबूती देने के साथ ही अमेरिका को एशिया में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में स्थापित करेगा।

चीन की बढ़ी चिंता

भारत की इन दो बड़ी रक्षा साझेदारियों ने चीन की रणनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। चीन पहले से ही क्वाड (Quad) देशों भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान के गठबंधन से असहज था। अब भारत द्वारा अलग-अलग दो प्रमुख साझेदारों के साथ सैन्य संबंध गहराने से उसकी इंडो-पैसिफिक प्रभुत्व नीति को सीधी चुनौती मिल रही है।

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