केंद्रीय कर्मचारियों को झटका, इस पेंशन स्कीम का विकल्प बंद

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों के लिए पेंशन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आई है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को चुनने की अंतिम तारीख 30 नवंबर 2025 थी, और यह समयसीमा अब आधिकारिक तौर पर समाप्त हो चुकी है। 

सरकार की ओर से न तो इस समयसीमा को बढ़ाने की घोषणा हुई है और न ही किसी अतिरिक्त मौके के संकेत मिले हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि जो कर्मचारी अभी तक UPS में शिफ्ट नहीं कर पाए, वे अब डिफॉल्ट रूप से नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के ही दायरे में रहेंगे।

अप्रैल 2025 में लागू हुई थी UPS

UPS को अप्रैल 2025 में लागू किया गया था। शुरूआत के साथ ही इस योजना ने सरकारी विभागों में तेज़ी से लोकप्रियता हासिल की, क्योंकि यह कर्मचारियों को बाजार जोखिम से मुक्त, निश्चित और स्थिर मासिक पेंशन का भरोसा देती थी। कई कर्मचारियों ने आखिरी समय का इंतज़ार किया, लेकिन अब समय निकल चुका है और UPS में शामिल होने का विकल्प बंद हो गया है।

UPS क्यों मानी जा रही थी अधिक लाभकारी?

UPS को खास तौर पर उन कर्मचारियों के लिए तैयार किया गया था जो रिटायरमेंट के बाद स्थिर आय का भरोसा चाहते थे। इसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं, कर्मचारी के बेसिक वेतन + DA का 10% योगदान, सरकार का बराबर 10% योगदान, इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा 8.5% राशि ‘पूल कॉर्पस फंड’ में जमा की जाती है। पेंशन भुगतान की दीर्घकालिक सुरक्षा इस फंड से सुनिश्चित होती है। जो कर्मचारी समय पर UPS में स्विच नहीं कर पाए, वे अब इच्छा होने पर भी NPS से बाहर नहीं निकल सकते।

पेंशन कैसे तय होती है? आसान और स्पष्ट फॉर्मूला

UPS की सबसे बड़ी ताकत इसकी सरल और पारदर्शी पेंशन गणना प्रणाली है।

25 वर्ष की सेवा पूरी होने पर: कर्मचारी को अंतिम 12 महीनों के औसत बेसिक वेतन का 50% पेंशन प्राप्त होगा।

25 वर्ष से कम सेवा पर: पेंशन की राशि सेवा अवधि के अनुपात में निर्धारित की जाएगी।

10 वर्ष से अधिक सेवा वालों के लिए न्यूनतम गारंटी: कम से कम ₹10,000 प्रति माह पेंशन सुनिश्चित की गई है। यह लाभ तभी मिलेगा जब योगदान नियमित हो और मध्य अवधि में कोई आंशिक निकासी न की गई हो।

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