भारत के लिए गर्व: दो स्वदेशी फाइटर जेट्स का निर्माण जारी

नई दिल्ली – भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। स्वदेशी तकनीक से निर्मित दो अत्याधुनिक फाइटर जेट्स – तेजस मार्क-1 और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) – देश की वायु शक्ति को एक नई ऊंचाई देने के लिए तैयार हैं। इन दोनों परियोजनाओं को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), और भारतीय वायुसेना (IAF) के सहयोग से विकसित किया जा रहा है।

तेजस मार्क-2: अगले स्तर का स्वदेशी फाइटर

तेजस मार्क-2, तेजस विमान श्रृंखला का उन्नत संस्करण है। यह मध्यम वजन का मल्टीरोल फाइटर जेट होगा, जो तेजस मार्क-1 की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली और तकनीकी रूप से अधिक उन्नत होगा। मार्क-2 में बेहतर एवियोनिक्स, उच्च प्रदर्शन इंजन, बढ़ी हुई रेंज और अत्याधुनिक हथियार प्रणालियाँ शामिल होंगी। यह विमान भारत की जरूरतों के मुताबिक डिजाइन किया जा रहा है और इसे विदेशी तकनीकों पर निर्भरता कम करने के लिए पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित किया जा रहा है।

तेजस मार्क-2 की खासियतों में एक बड़ी हवाई क्षमता, बेहतर रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, और हवा से हवा व हवा से जमीन मिसाइलों का इस्तेमाल शामिल होगा। यह विमान भारतीय वायुसेना के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ साबित होगा, खासकर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए।

AMCA: भारत का पहला स्टील्थ फाइटर जेट

दूसरी ओर, AMCA 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है, जिसे भारत की अगली पीढ़ी की हवाई श्रेष्ठता के लिए डिजाइन किया जा रहा है। AMCA में स्टील्थ तकनीक, सुपरक्रूज क्षमता, एडवांस्ड एवियोनिक्स, और इंटरनल वेपन बे जैसी सुविधाएँ होंगी, जो इसे दुश्मनों के लिए एक खतरनाक चुनौती बना देंगी। इसका उद्देश्य हवा में दुश्मन के रडार से बचकर गुप्त रूप से ऑपरेशन करना और विभिन्न युद्ध परिस्थितियों में बहुमुखी भूमिका निभाना है।

AMCA परियोजना अब अपने डिज़ाइन और प्रोटोटाइप निर्माण चरण में है। इसका पहला प्रोटोटाइप 2028 तक तैयार होने की संभावना है, और 2030 के दशक की शुरुआत तक इसके सेवा में शामिल होने की उम्मीद है। AMCA के विकास में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों की साझेदारी भी हो रही है, जो इसे 'मेक इन इंडिया' पहल की बड़ी सफलता बना सकती है।

आत्मनिर्भर भारत की ओर मज़बूत कदम

इन दोनों परियोजनाओं के माध्यम से भारत न केवल रक्षा उपकरणों के आयात पर अपनी निर्भरता घटा रहा है, बल्कि वैश्विक रक्षा निर्यात बाज़ार में भी एक मज़बूत खिलाड़ी के रूप में उभरने की राह पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन स्वदेशी विमानों के उत्पादन से न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को बल मिलेगा, बल्कि रक्षा क्षेत्र में रोज़गार और तकनीकी नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा।

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