परमाणु बम से निकलने वाले रेडिएशन: कितने समय तक रहता है असर?

न्यूज डेस्क: परमाणु बम, विज्ञान की सबसे विनाशकारी खोजों में से एक है। यह सिर्फ धमाके से ही नहीं, बल्कि इससे निकलने वाले रेडिएशन (radiation) से भी जानलेवा होता है। रेडिएशन ऐसा अदृश्य ज़हर है जो न केवल तुरंत जान ले सकता है, बल्कि पीढ़ियों तक असर छोड़ सकता है।

1. रेडिएशन कैसे निकलता है?

परमाणु बम के विस्फोट में न्यूक्लियर फिशन या फ्यूज़न की प्रक्रिया होती है, जिसमें भारी न्यूक्लियस टूटकर विशाल ऊर्जा के साथ रेडियोधर्मी कण छोड़ते हैं। ये कण वायुमंडल में फैलकर इंसान, जानवर, पौधों और जलस्रोतों तक पहुंचते हैं। रेडिएशन एक अदृश्य लेकिन घातक शक्ति है, जो बम फटने के बहुत बाद तक अपना असर दिखाती रहती है।

2. कौन-कौन से रेडिएशन निकलते हैं?

परमाणु विस्फोट में मुख्यतः चार प्रकार के रेडिएशन निकलते हैं:

गामा किरणें, जो शरीर के अंदर गहराई तक प्रवेश करती हैं;

न्यूट्रॉन किरणें, जो जैविक ऊतकों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती हैं;

अल्फा और बीटा कण, जो शरीर के संपर्क में आकर या अंदर जाकर आंतरिक अंगों को प्रभावित करते हैं;

और सबसे ख़तरनाक, रेडियोधर्मी फॉलआउट, जो हवा के ज़रिए दूर-दूर तक फैल जाता है और वर्षों तक पर्यावरण को ज़हरीला बनाए रखता है।

3. इंसानों पर रेडिएशन का असर

रेडिएशन के संपर्क में आते ही शरीर में कई प्रकार के लक्षण दिखने लगते हैं — जैसे उल्टी, सिर दर्द, थकान, त्वचा जलना और खून की कमी। लंबे समय तक संपर्क में रहने से कैंसर, प्रजनन संबंधी समस्याएं, थायरॉइड विकार और यहां तक कि आनुवंशिक विकृतियां भी उत्पन्न हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए यह बेहद खतरनाक होता है, जिससे शिशु जन्म से पहले ही विकलांग या मृत पैदा हो सकता है।

4. पर्यावरण पर रेडिएशन का प्रभाव

परमाणु रेडिएशन केवल इंसानों को नहीं, बल्कि पूरी प्रकृति को संक्रमित कर देता है। फॉलआउट के ज़रिए मिट्टी, जलस्रोत और फसलें तक ज़हरीली हो जाती हैं। पशु-पक्षी मरने लगते हैं या उनकी जैविक संरचना बदल जाती है। जंगल, खेत, नदी और हवा — सब कुछ धीरे-धीरे एक मृत क्षेत्र में बदल जाते हैं, जहां जीवन लंबे समय तक संभव नहीं रहता।

5. कितनी देर तक असर रहता है?

रेडियोधर्मी तत्वों का असर कुछ दिनों या महीनों तक नहीं, बल्कि सैकड़ों से लेकर हज़ारों वर्षों तक रहता है। उदाहरण के लिए, प्लूटोनियम-239 की अर्ध-आयु लगभग 24,000 वर्ष होती है, यानी इसका रेडिएशन इतने लंबे समय तक प्रभाव डाल सकता है। इसका मतलब है कि एक बार कोई क्षेत्र दूषित हो जाए, तो वह पीढ़ियों तक रहने लायक नहीं बचता।

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