स्टेज 1: शुरुआती संकेत, पर कम खतरा
ब्लड कैंसर की पहली स्टेज में शरीर के लिम्फ नोड्स में सूजन देखी जाती है, लेकिन यह दर्दरहित होती है। इस स्टेज में लिम्फोसाइट्स की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन कैंसर लिम्फ नोड्स तक ही सीमित रहता है। मरीज को थकान, हल्का बुखार, वजन घटना या रात में पसीना आना जैसे लक्षण हो सकते हैं।
इलाज और उम्मीद:
इस स्टेज में कैंसर का इलाज आसान होता है और रिकवरी की संभावना 90% से अधिक होती है। कीमोथेरेपी या टारगेटेड थैरेपी से रोग नियंत्रित किया जा सकता है।
स्टेज 2: बीमारी बढ़ती है, लेकिन नियंत्रण संभव
दूसरी स्टेज में कैंसर लिम्फ नोड्स से आगे बढ़कर तिल्ली, लिवर या बोन मैरो तक पहुंच सकता है। लिम्फोसाइट्स की संख्या अधिक हो जाती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होने लगती है।
इलाज और उम्मीद:
इलाज थोड़ा जटिल हो जाता है, लेकिन सही इलाज से मरीज की स्थिति सुधर सकती है। इस स्टेज में कीमोथेरेपी के साथ-साथ स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।
स्टेज 3: गंभीर स्थिति की शुरुआत
तीसरी स्टेज में शरीर में लाल रक्त कणिकाओं (RBCs) की संख्या तेजी से घटने लगती है, जिससे एनीमिया हो जाता है। साथ ही, कैंसर का प्रसार कई लिम्फ नोड्स और अंगों तक हो जाता है। शरीर में कमजोरी और सांस फूलने जैसे लक्षण आम हो जाते हैं।
इलाज और उम्मीद:
इस स्टेज में इलाज की प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है। रिकवरी की संभावना कम होती है, लेकिन समय पर इलाज शुरू हो जाए तो जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है।
स्टेज 4: सबसे खतरनाक और जानलेवा
ब्लड कैंसर की चौथी स्टेज सबसे गंभीर होती है। इसमें कैंसर बोन मैरो, ब्लड स्ट्रीम और शरीर के कई अंगों तक फैल चुका होता है। रोगी को गंभीर संक्रमण, बार-बार बुखार, ब्लीडिंग, वजन का अत्यधिक घटना, और शारीरिक कमजोरी की शिकायत होती है।
इलाज और उम्मीद:
इस स्टेज में इलाज बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। कीमोथेरेपी, रेडिएशन, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट और इम्यूनोथेरेपी जैसे विकल्पों के बावजूद मरीज की जीवन प्रत्याशा पर गहरा असर पड़ता है।
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