बिहार में संपत्ति बंटवारे के कानून: बेटों-बेटियों के हक की पूरी जानकारी

पटना। बिहार में पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे को लेकर कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जो बेटों और बेटियों दोनों के अधिकारों को समान रूप से सुनिश्चित करते हैं। विशेषकर 2005 में लागू हुए हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम ने बेटियों को भी संपत्ति में समान अधिकार प्रदान किए हैं। इसके बाद, 2024 में बिहार सरकार ने संपत्ति रजिस्ट्री और बंटवारे से जुड़े नए नियम लागू किए हैं, जो पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे को और भी स्पष्ट और व्यवस्थित बनाते हैं।

बेटियों के अधिकारों में क्रांतिकारी बदलाव

1 .जन्म से समान अधिकार: बेटियां भी बेटों की तरह पारिवारिक संपत्ति में समान हिस्सेदार होती हैं।

2 .विवाह का कोई प्रभाव नहीं: बेटियों का विवाह उनके संपत्ति अधिकारों को प्रभावित नहीं करता।

3 .वापस दावा करने का अधिकार: बेटियां पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे के लिए कोर्ट में दावा कर सकती हैं।

4 .विरासत का समान अधिकार: बेटियां भी पिता की संपत्ति में समान रूप से हिस्सेदार होती हैं, चाहे पिता का निधन कब हुआ हो।

बिहार सरकार के नए संपत्ति रजिस्ट्री नियम, 2024:

1 .बेटियों की सहमति आवश्यक: यदि कोई बेटी अपनी हिस्सेदारी छोड़ना चाहती है, तो उसे लिखित में सहमति देनी होगी।

2 .सभी सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य: संपत्ति के बंटवारे के समय परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहेंगे, जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी।

3 .रजिस्ट्री से पहले बंटवारा: संपत्ति की रजिस्ट्री से पहले पारिवारिक बंटवारा अनिवार्य होगा, जिससे अवैध बिक्री और विवादों की संभावना कम होगी।

4 .पारिवारिक सहमति से बंटवारा: यदि परिवार के अधिकांश सदस्य सहमत हैं, तो बंटवारा किया जा सकता है, भले ही कुछ सदस्य असहमत हों।

बेटों और बेटियों के समान अधिकार

1 .समान हिस्सेदारी: बेटों और बेटियों दोनों को पारिवारिक संपत्ति में समान हिस्सेदारी का अधिकार है।

2 .कानूनी अधिकार: यदि किसी बेटी को उसकी हिस्सेदारी से वंचित किया जाता है, तो वह कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

3 .विवाह का कोई प्रभाव नहीं: बेटी का विवाह उसके संपत्ति अधिकारों को प्रभावित नहीं करता, वह अपनी हिस्सेदारी का दावा कर सकती है।

0 comments:

Post a Comment