स्वदेशी ताकत: अब भारत बना मिसाइल महाशक्ति!

नई दिल्ली। भारत अब सिर्फ एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि एक सशक्त मिसाइल सुपरपॉवर के रूप में भी वैश्विक मंच पर अपनी धमक दर्ज करा चुका है। हाल के वर्षों में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित स्वदेशी मिसाइलों की श्रृंखला ने भारत को आत्मनिर्भरता की दिशा में जबरदस्त गति दी है। परिणामस्वरूप, न केवल भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा हुआ है, बल्कि इसकी तकनीकी श्रेष्ठता ने पड़ोसी देशों की नींद भी उड़ा दी है।

मिसाइल टेक्नोलॉजी में क्रांतिकारी बदलाव

भारत ने हाल ही में अग्नि-5, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, नाग एंटी-टैंक मिसाइल, अस्त्र एयर-टू-एयर मिसाइल और पृथ्वी सीरीज़ जैसे अत्याधुनिक हथियारों का सफल परीक्षण किया है। इन सभी का विकास पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक से किया गया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मिसाल है।

विशेषज्ञों के अनुसार, अग्नि-5 की 5,000 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता भारत को अंतरमहाद्वीपीय क्षमता से लैस परमाणु शक्ति बनाती है। वहीं, ब्रह्मोस – जिसे रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित किया गया है – दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में गिनी जाती है, और यह भूमि, वायु और समुद्र से लॉन्च की जा सकती है।

दुश्मनों के लिए चेतावनी का संकेत

भारत की यह मिसाइल शक्ति सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के लिए यह स्पष्ट चेतावनी है कि भारत अब न तो तकनीकी रूप से निर्भर है, न ही सुरक्षा के मामले में कमजोर। बीते कुछ महीनों में भारत द्वारा किए गए मिसाइल परीक्षणों ने रक्षा पंक्ति को और भी मजबूत किया है।

रक्षा निर्यात में भी बढ़ता भारत

भारत की यह मिसाइल क्रांति केवल देश की रक्षा तक सीमित नहीं है। अब भारत अपने मिसाइल सिस्टम को दूसरे देशों को निर्यात करने की दिशा में भी तेजी से कदम बढ़ा रहा है। फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल की डिलीवरी इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जिसने भारत को रक्षा निर्यातकों की श्रेणी में सम्मानजनक स्थान दिलाया है।

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